ॐ श्री महा गणेशाय नमः
आज के आधुनिक समय मे हमारा खान-पान तेजी से बदलता जा रहा है और हमारे खान-पान का आधुनिक रूप फास्टफूड के रूप मे तेजी से अपनी जगह बनाता जा रहा है । व्यस्त रहने वाले सभी परिवार इसे जीवन मे सबसे अधिक महत्व दे रहे हैं । इसके कई कारण है यह आसानी से मिल जाता है और इससे समय की बचत भी होती है । परंतु इसके भयानक भावी परिणाम हैं । क्योंकि इसका उपयोग करने से मुह और जबड़े का उचित व्यायाम नही हो पाता है , इसे चाबाना कम पड़ता है साथ ही कम चबाने के कारण लार भी उचित मात्रा मे भोजन मे नही मिल पाती । जिससे भोजन के पचने मे कठिनाई होती है । कहते हैं की एक कोर को 32 बार चाबाना चाहिए , तब जाकर भोजन मे सही तरीके से पचाने लायक लार मिल पाती हैं ।
आज के आधुनिक युग मे जो भी आधुनिक भोजन मिल रहा है वो बहुत पुराना होता है जबकि तुरंत बनाए भोजन को ही प्राथमिकता दी जानी चाहिए । इस तरह का आधुनिक भोजन स्वास्थ के लिए बहुत ही हानीकारक है । कम चबाने से जबड़े और मुह का व्यायाम सही ढंग से नही हो पाने के कारण बच्चो के जबड़ो का आकार लगातार छोटा होता जा रहा है । साथ ही दाँतो पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है । कम चबाने से दाँतो का भी व्यायाम सही तरीके से नही हो पाता जिससे दाँत आड़े-तिरछे और एक दूसरे पर चड़े हुए निकलते हैं । बच्चो पर इस आधुनिक खानपान का बहुत बुरा प्रभाव हो रहा है यदि एसा ही चलता रहा तो आने वाले समय की भावी पीड़ी कितनी विकृत होगी इसका अंदाजा नही लगाया जा सकता । प्रदूषण के कारण पहले ही सभी जीव व पेड़-पौधे प्रभावित हो रहे हैं और मनुष्य की रोगो से लड़ने की क्षमता लगातार कम होती जा रही है । उस पर यदि हमारे पेट और भोजन को भी दूषित कर दिया जायगा तो आने वाले समय मे जाने क्या होगा । हमे जल्द से जल्द इस विषय मे सावधान हो जाना चाहिए । आधुनिक खानपान की वस्तुओं के विषय मे यह जानकारिया बहुत ही चोकाने वाली हैं ।
आज के आधुनिक समय मे हमारा खान-पान तेजी से बदलता जा रहा है और हमारे खान-पान का आधुनिक रूप फास्टफूड के रूप मे तेजी से अपनी जगह बनाता जा रहा है । व्यस्त रहने वाले सभी परिवार इसे जीवन मे सबसे अधिक महत्व दे रहे हैं । इसके कई कारण है यह आसानी से मिल जाता है और इससे समय की बचत भी होती है । परंतु इसके भयानक भावी परिणाम हैं । क्योंकि इसका उपयोग करने से मुह और जबड़े का उचित व्यायाम नही हो पाता है , इसे चाबाना कम पड़ता है साथ ही कम चबाने के कारण लार भी उचित मात्रा मे भोजन मे नही मिल पाती । जिससे भोजन के पचने मे कठिनाई होती है । कहते हैं की एक कोर को 32 बार चाबाना चाहिए , तब जाकर भोजन मे सही तरीके से पचाने लायक लार मिल पाती हैं ।
आज के आधुनिक युग मे जो भी आधुनिक भोजन मिल रहा है वो बहुत पुराना होता है जबकि तुरंत बनाए भोजन को ही प्राथमिकता दी जानी चाहिए । इस तरह का आधुनिक भोजन स्वास्थ के लिए बहुत ही हानीकारक है । कम चबाने से जबड़े और मुह का व्यायाम सही ढंग से नही हो पाने के कारण बच्चो के जबड़ो का आकार लगातार छोटा होता जा रहा है । साथ ही दाँतो पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है । कम चबाने से दाँतो का भी व्यायाम सही तरीके से नही हो पाता जिससे दाँत आड़े-तिरछे और एक दूसरे पर चड़े हुए निकलते हैं । बच्चो पर इस आधुनिक खानपान का बहुत बुरा प्रभाव हो रहा है यदि एसा ही चलता रहा तो आने वाले समय की भावी पीड़ी कितनी विकृत होगी इसका अंदाजा नही लगाया जा सकता । प्रदूषण के कारण पहले ही सभी जीव व पेड़-पौधे प्रभावित हो रहे हैं और मनुष्य की रोगो से लड़ने की क्षमता लगातार कम होती जा रही है । उस पर यदि हमारे पेट और भोजन को भी दूषित कर दिया जायगा तो आने वाले समय मे जाने क्या होगा । हमे जल्द से जल्द इस विषय मे सावधान हो जाना चाहिए । आधुनिक खानपान की वस्तुओं के विषय मे यह जानकारिया बहुत ही चोकाने वाली हैं ।
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