गुरुवार, 22 दिसंबर 2011

भिक्षा , भीख और दान मे अंतर

                                                          ॐ श्री महा गणेशाय नमः    

 भीख :- भीख  सिर्फ भीख है और यह सिर्फ भिखारी को सहायता के रूप मे दया स्वरूप दी जाती है इसे दान भी नही कहा जा सकता क्यूंकी दान का भी एक निश्चित उद्देश्य होता है परंतु भीख का कोई उद्देश्य नही होता । भीख देने के लिए किसी की योग्यता-अयोग्यता भी नही देखी जाती भीख तो बस दे दी जाती है । भीख देने की बाद यह भी नही सोचा जा सकता की इसे लेकर क्या वह कोई अच्छा कार्य करेगा य यूं ही इसे उड़ा दिया जाएगा ।

भिक्षा :- भिक्षा देने के उद्देश्य होते है भिक्षा लेने वाले सदा य आशा की जाती है की व इसे लेकर सभी के हिट के लिए कार्य करेगा  या फिर स्वयं का जीवन यापन करेगा और पूरी तरह सभी के हित के लिए समर्पित रहेगा .
वेदिक काल मे भिक्षा ब्राह्मणो द्वारा ली जाती थी ताकि वे सामान्य व सादा जीवन जी सकें और उन्हे अपने पेट भरने के लिए कोई भी कार्य न करना जिससे वे अपनी शारीरिक शुद्धी पर पूरा ध्यान दे सकें और वेदाध्यन यज्ञ विध्यार्थियों को निशुल्क शिक्षा आदि कार्य कर सकें । भिक्षा के लिए योग्यता की आवश्यकता जरूर है सभी के हित के उद्देश्य से भेंट पाने की इच्छा भिक्षा कहलाती है । बहुत बड़ा अंतर है भीख और भिक्षा मे ।    

दान:- दान को भीख आदि के समान कहना निश्चय ही मूर्खतापूर्ण है दान मे भी भिक्षा के ही समान लक्षण होते हैं परंतु अंतर इतना होता है कि दान देने वाला इन्ही सब कारणो व लक्षणो आदि को ध्यान मे रखते हुये स्वयं जाकर इच्छित स्थान पर , समय मे  या व्यक्ति को दान देता है  दान के कई प्रकार हैं परंतु एसा कोई भी प्रकार नही जिससे भीख और भिक्षा मे समानता महसूस हो  

                                                 

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