गुरुवार, 22 दिसंबर 2011

पुराण व उप पुराणो की संख्या

                                                      ॐ श्री महा गणेशाय  नमः 

 
एसे  18 पुराण हैं , तथा 18 ही  उप पुराण माने जाते हैं। चार प्रकार के पुराणो का पता लगा है- महापुराण , उपपुराण , अतिपुराण और पुराण । चारो की 18-18 संख्या बताई गई है । उनकी नामावली इस प्रकार मिलती है ।

महापुराण- ब्रह्म ,पद्म ,विष्णु ,शिव , श्रेमद्भभागवत , नारद , मार्कण्डेय , अग्नि , भविषय , ब्रह्मवेवर्त , लिंग ,वराह , स्कन्द , वामन , कूर्म , मतस्य , गरुड और ब्रह्माण्ड ।

उपपुराण- भागवत, माहेश्वर , ब्रह्माण्ड , आदित्य , पाराशर , सौर , नंदीकेश्वर , साम्ब , कालिका , वारूण , औशनस , मानस , कापिल , दुर्वासस , शिवधर्म , वृहत्रार्दीव ( नामस्पष्ट नही ) , नरसिंह और संतकुमार ।

अतिपुराण- कार्तव ( नामस्पष्ट नही )  , ऋजु , आदी , मुद्रल , पशुपति , गणेश , सौर , परानन्द , वृहधर्म , महाभागवत , देवी , कलकी , भार्गव , वशिष्ठ , कौर्म , गर्ग , चंडी और लक्ष्मी । 

पुराण- वृहदिष्णु , शिव उत्तरखंड , लघु वृहत्रारदीय ( नामस्पष्ट नही )  , मार्कण्डे , व्ह्यी , भाविष्योत्तर , वराह , स्कन्द , वामन , वृहद्वामन , वृहन्मतस्य , स्वल्पमतस्य , लघुवेवर्त और 5 प्रकार के भविष्य ।

( हनुमान प्रसाद पोद्दार व चिमनलाल गोस्वामी -संपादक गीताप्रेस गोरखपुर )

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