गुरुवार, 22 दिसंबर 2011

अनार्य समाज के सस्थापक द्वारा वेद मंत्रो का अर्थ और वास्तविक व पूर्ण अर्थ

                                                           ॐ धूम्र केतवे नमः 

' धूम्रकेतु '  श्री महागणेशजी का एक नाम है और धूम्रकेतु का अर्थ है धुए के समान फैले हुए अंधकार (अज्ञान ) का अंत करने वाले । मेरे इस कार्य मे भी इन्ही देव की कृपा है ।

  एक अनार्य समाज के संस्थापक ने वेद मंत्रों का अपनी  ' असत्यार्थ प्रकाश ' नाम की पुस्तक मे बहुत ही दोषपूर्ण पद्धती से अर्थ निकाला है जिन वेदमंत्रो के  वास्तविक अर्थ लिखे है । आप सभी जो अनार्य समाज से संबन्धित हो या न हो इसको पूरा जरूर पड़े ।

स्त्री और यज्ञ

// Rigveda 1.146.3: The Yajamaan (performer of Yajna) and his wife are two cows and the fire of Yajna is the calf.//
एक ही अग्नि रूपी पुत्र को उत्पन्न करने वाली ,मार्गो को प्रकाशित करके उन्हे जाने योग्य बनाती हुयी , सभी प्रकार की ज्ञान संपदा को व्याकरण रुप मे धारण करती हुई , उत्तम दर्शन योग्य दो गौए ( अग्नि संवर्धन करने वाली यजमान दंपति रूप ) चारो और विचरण कर रही है ।

// Rigveda 2.6.5: If mother and sister perform Yajna together, that brings bliss.//
अन्तरिक्ष से वे अग्निदेव हमारे लिए वृष्टि करे । वे हमे श्रेष्ठ बल तथा हजारो प्रकार का अन्न प्रदान करे ।

// Rigveda 7.1.6: The young woman approaches the fire with Havi //
आहुती के योग्य घृत धारण करने वाली जो नित्य सम्बद्ध (यज्ञ पात्र जुहू अथवा स्थूल सूक्ष्म सामाग्री ) सुदक्ष श्रेष्ठ कुशल (यज्ञाग्नि ) के पास पहुचती है वह अपने ही धन से दीप्ति प्राप्त करती है ।

//Atharvaveda 3.28.6: O wife, you have entered the world of Yajna.//
जिस देश मे श्रेष्ठ हृदय वाले तथा श्रेष्ठ कर्म वाले मनुष्य अग्निहोत्र ,हवन आदि मे हवी प्रदान करने के लिए नियत रहते हैं । उस देश मे यमिनी मनुष्यो और पशुओ की हिंसा न करे

//  Atharvaveda 3.30.6: All the members of family should perform Yajna. //
हे समानता की कामना करने वाले मनुष्यो ! आपके जल पीने के स्थान एक हो तथा अन्न का भाग साथ-साथ हो । हम आपको एक ही प्तेंपाश मे साथ-साथ बांधते हैं । जिस प्रकार पहियो के अरे नाभि के आश्रित होकर रहते हैं , उसी प्रकार आप सब भी केवल  एक ही फल की कामना करते हुए अग्निदेव की उपासना करे ।

//Atharvaveda 14.2.18: O woman, you should perform Yajna in Grihastha Ashram.//
देवर और पति को कष्ट न पहुचाती हुई , पशुओ के लिए हितकारिणी ,श्रेष्ठ नियमो पर चलने वाली , श्रेष्ठ तेजस्विता -सम्पन्न ,संतानयुक्त वीर संतानों को जन्म देने वाली , पतिगृह मे देवर का कल्याण चाहती हुई , सुखदायिनी बनकर आप इस गार्हपत्य अग्नि की हवन द्वारा स्तुति करे

जरा इसके पहले का श्लोक भी पढे ( 14.2 यह विवाह के समय के यज्ञ के विषय मे है )

अथर्ववेद 14.2.17  हे वधू ! आप सुखकारिणी ,स्नेहदृष्टी से युक्त , कल्याणकारिणी , सेवा करने वाली , श्रेष्ठ नियमो पर चलने वाली ,वीर संतानों जन्म देने वाली , देवर के कल्याण की कामना करने वाली , पाती को क्षीण न करने वाली और शुभ अंतरभावना से युक्त हो , जिससे हम आपसे वृदधी को प्राप्त करे ।

// Atharvaveda 14.2.25: O woman, perform Yajna with bliss.//
मात्रत्व को धारण करने वाली इस स्त्री के साथ नानविध रूप वर्ण वाले ,गाय आदि पशु रहे । हे उत्तम मंगलमय स्त्री ! आप अग्निदेव के समीप बैठकर देवो को सुशोभित करे ।


स्त्री और शिक्षा

//Rigveda 6.44.18: The government should ensure that all boys and girls get good education, follow Brahmacharya and strengthen the society.//
हे इंद्रदेव ! आप धनवान हैं । इन संग्रामो मे हमे सुखदाई बहुत सा धन प्राप्त कराए । आप हमे विजय प्राप्ति के योग्य सामर्थ्य प्रदान करे तथा पुत्र-पोतरों व जल वृष्टी से हमे समृद्ध बनाए ।

// Rigveda 3.1.23: Smart people should ensure that all boys and girls become scholars.//
हे अग्निदेव ! आप यज्ञादी कार्य के लिए अनेक सत्कर्मों के लिए और गौओ के पोषण के लिए उत्तम भूमी हमे प्रदान करे । हमारे पुत्र वंश की वृदधी करने वाले हों । आपकी वह सुमति हमे प्राप्त हो ।

//Rigveda 2.41.16: All girls should receive education from scholarly women.//
हे नदियो ,मात्रगणो ,देवो मे सर्वश्रेष्ठ माता सरस्वती ! हम मूर्ख बालको के समान हैं ; अतः आप हमे उत्तम ज्ञान प्रदान करे ।

//Rigveda 1.152.6: The way mother nourishes her children with milk, scholars should nourish girls and boys with knowledge.//
रक्षक गौए ( गाय ,वाणी , किरण ) अपने स्रोतो से ममतायुक्त उपासको को पोषण प्रदान करे । सदज्ञान के ज्ञाता आप ( मित्रा वरुण ) से उचित पोषण ( आहार व विचार ) मांगे । आपकी उपासना से साधक मृत्यु को जीत ले ।

 // Rigveda 2.41.17: All scholars should instruct their scholarly wives to educate all girls.//
हे माता सरस्वती ! आपके तेजस्वी आश्रय मे ही सम्पूर्ण जीवन-सुख आश्रित है ,अतः हे माता ! आप पवित्र करने वाले यज्ञ मे आनंदित होकर हमे उत्तम संतति प्रदान करे ।

// Rigveda 1.117.24: Teachers should ensure that they train boys and girls with highest levels of noble values and educate them and then return them to their respective parents.//
हे अश्विनी कुमारों ! आप दोनों श्रेष्ठ दान दाता , औदार्यपूर्ण और नेत्रत्व क्षमता से सम्पन्न हैं । बांझ स्त्री को पुत्रदान देकर उसके हाथो को स्वर्ण संपदा को धारण करने योग्य बनाया । जो श्याव तीन स्थानो से घायलावस्था मे पड़े थे , उन्हेजीवन दान देने हेतु आप दोनों के द्वारा उत्तम ढंग से परिचर्या की गई ।

// Rigveda 1.164.41: The woman who masters and teaches all the Vedas brings bliss in entire society. //
गौ ( वाणी ) निश्चित ही शब्द करती हुई जलो ( रसो ) को हिलाती ( तरंगित ) है । वह गौ ( काव्यमाई वाणी ) एक ,दो ,चार, आठ, अथवा नो पदो वाले छंदो मे विभाजित होती हुई सहस्त्र अक्षरो से युक्त होकर व्यापक आकाश मे समव्याप्त हो जाती है ।
[ इस ऋचा मे गौ का अर्थ सूर्य राशमियों से लिया जा सकता है । वे रसो को संचरित करती हुई सहस्त्र चरण वाली बनकर आकाश मे समव्याप्त होती है । ]

// Rigveda 7.40.7: Scholarly woman that possess noble qualities should educate all women and bring happiness everywhere.//
आप वशीष्ठों ने ध्यावा-पृथ्वी की सुनिश्चित स्त्रोतों से स्तुती की । यजन करने योग्य वरुण ,इन्द्र व अग्निदेव की भी स्तुती की गई । अन्नदाता देवता हमे पूजा ( श्रेष्ठ कार्यो ) मे प्रयुक्त किए जाने योग्य श्रेष्ठतम अन्न व धन प्रदान करे ।

// Yajurveda 20.85: Scholarly woman should ensure that she educates other women and makes them also scholars.//
उत्तम और सत्या वाणियो द्वारा सन्मार्ग की प्रेरणा देने वाली , कुमति को दूर कर सुमति को जगाने वाली सरस्वती देवी हमारे यज्ञ को धारण करती है ।

// Yajurveda 34.40: The way dawn brings happiness among human beings, scholarly woman should bring happiness by educating girls.//
अश्वो से युक्त ,गौ से युक्त ,वीर संतानों से सम्पन्न , कल्याण-स्वरूपा प्रभात वेला जिस प्रकार घृत युक्त दूध को प्रदान करती है , उसी प्रकार सम्पूर्ण दिशाओ को व्याप्त करने वाली प्रभात वेलाए ( उषाए ) हमारे अज्ञान रूप बंधनो को भी सदा हटाए । हे देवताओ ! आप सभी हमारी रक्षा करते हुए सदेव हमारा कल्याण करें ।

//Yajurveda 6.14: Teachers should ensure that they inculcate noble qualities in their students (girls and boys) through dissemination of knowledge of Vedas.//
हे याजक ! हम आपके प्राण ,वाणी,दृष्टी,श्रोत्र ,नाभि जनन्नेद्रिय ,गुदा आदि को शुद्ध करते हैं । इस प्रकार आपके चरित्र मे शोधन कर उसे यज्ञानुकूल बनाते हैं ।

//Yajurveda 11.36: Parents should ensure good education of children – boys and girls – and then send them to scholars for a long period so that their enlighten the families and nation like sun.//
देवा वाहक ,कार्यकुशल ,तेजस्वितायुक्त ,गतिशील अति तीक्षण ,मेधा-सम्पन्न ,श्रेष्ठ स्थान के निवासी ,सहसत्रों के पोषणकर्ता और अतिपावन अग्निदेव अपनी तेजस्विता को प्रगत करते हुए यज्ञवेदी पर सुशोभित होते हैं ।

//Yajurveda 10.7: Government should put special efforts to make all women into scholars.//
( अकभिषेक के लिए पात्रो मे स्थापित ) यह जल आनंददायी ,येजस्वी,उत्तम कर्मा तथा पराजित न होने वाला है । यह आवास ( घर ) की तरह निवास प्रदान करने वाला , धारण करने  वाला तथा माता की तरह पोषण देने वाला है । शिशुरूप यजमान आदरसहित इसे स्थापित करे

Potentials of an educated woman

// Rigveda 1.164.49: O scholarly woman, your knowledge provides us peace and bliss. You lead us to inculcate noble virtues. You provide us prosperity through your knowledge. May we obey your inspiration that you provide as a mother. A scholarly woman is mother of entire society.//
हे देवी सरस्वती ! जो आपका सुखदायक ,वरन करने योग्य ,पुष्टिकारक , एश्वर्य प्रदाता ,कल्याणकारी विभूतियों को देने वाला स्तन ( स्वरूप ) है ,उसे जगत के पोषण के लिए प्रगत करे ।

// Rigveda 2.41.16: O provider of great knowledge, O my mother through the nourishment of knowledge that you have provided, our life is scattered without you. Please provide us direction.//
हे नदियो ,मात्रगणो ,देवो मे सर्वश्रेष्ठ माता सरस्वती ! हम मूर्ख बालको के समान हैं ; अतः आप हमे उत्तम ज्ञान प्रदान करे ।

// Rigveda 2.41.17: A scholarly woman, the entire life of society depends upon you. You provide us the right knowledge. May you bring knowledge to all segments of society.//
हे माता सरस्वती ! आपके तेजस्वी आश्रय मे ही सम्पूर्ण जीवन-सुख आश्रित है ,अतः हे माता ! आप पवित्र करने वाले यज्ञ मे आनंदित होकर हमे उत्तम संतति प्रदान करे ।

// Rigveda 6.49.7: O scholarly woman, you purify our character. You have noble characteristics. You conduct noble actions. You have noble habits. We bow to your greatness that provides bliss to all.//
जो सरस्वती देवी ,सुंदर, उत्तम आन डेबे वाली ,वीअरो का पालन करने वाली ,पवित्र करने वाली है , वे हमारे यज्ञ अनुष्ठान को धारण करे । देवांगनाओ सहित प्रसन्न होकर वे स्तोताओ को छिद्र रहित निवास प्रदान करे तथा उनका कल्याण करे ।

//Rigveda 6.61.2: O scholarly woman, the way a river breaks away mightiest of hills and rocks, the scholarly woman destroys myths and hypes through her intellect alone. May we bow to women through our polite words and noble actions.//
जो सरस्वती देवी अपने बलवान वेग से कमलनाल की तरह पर्वत के तटो को तोड़ देती हैं हम उन सरस्वती देवी की भक्ति करते हैं । , वे हमारी रक्षा करे ।

// Rigveda 6.61.3: O scholarly woman, destroy the evil inside us through your knowledge and character. Gift us with knowledge of Vedas. O performer of noble actions, you provide us stream of knowledge in same manner as a river provides stream of water.//
हे सरस्वती देवी ! आपने देवताओ की निंदा करने वाले को विनष्ट किया । आप उसी तरह कपटी-दुष्टो का नाश करे । मानवो के लाभ के लिए आपने संरक्षित भू-भाग प्रदान किए हैं । हे वाजीनिवती ! आपने ही मनुष्यो के लिए जल प्रवाहित किया है ।


// Rigveda 7.96.3: O scholarly noble woman brings only happiness in society. She makes us knowledgeable and alert. She guides us like the mantras in Yajna and teaches us use of everything in world. //
हितकारिणी सरस्वती देवी निश्चितरुप से कल्याण करने वाली हैं । सुंदर प्रवाहमान और अन्न देने वाली सरस्वती देवी हमे चेतन्य बनाए । आप जिस प्रकार जमदग्नि ऋषि द्वारा पूजित हुई हैं , उसी तरह आप वशिष्ठ से भी स्तुत्य हैं ।


// Rigveda 10.17.7: Those who desire the society to become noble and powerful, they respect woman and please her. Those who desire virtues respect woman and please her. Those who respect woman obtain bliss, knowledge and happiness.//
देवी गुणो के इच्छुक मनुष्य देवी सरस्वती का आवाहन करते हैं । यज्ञ के विस्तारित होने पर वे देवी सरस्वती की ही स्तुती करते हैं । श्रेष्ठ पुण्यात्माओ द्वारा देवी सरस्वती के आवाहन किए जाने पर , वे दानियो की आकांक्षाऑ को परिपूर्ण करती हैं ।

//Atharvaveda 7.57.1: Whenever I am hurt by meanness of world or misunderstanding with others, a scholarly woman heals my wounds. (Because women possess the soft skills and emotional intelligence that is not naturally and easily available to men.)//
मेरे जिन अंगो को याचित वस्तु के न प्राप्त होने से कष्ट हुआ है और इससे मुझमे जो  आत्म-ग्लानि या हीनता के भाव आए , उन सबको देवी सरस्वती स्नेहपूर्वक दूर करें ।


//Yajurveda 20.84: The scholarly woman purifies our lives with her intellect. Through her actions, she purifies our actions. Through her knowledge and action, she promotes virtue and efficient management of society.//
सबको पवित्रता प्रदान करने वाली ,अन्न के द्वारा यज्ञादी श्रेष्ठ कर्मो को संपादित करने वाली सरस्वती देवी हमारे यज्ञ को धारण करे तथा हमे अभीष्ट वेभाव प्रदान करे ।

//Yajurveda 20.85: Scholarly woman inspires us towards knowledge. She promotes conduct of noble acts in society.//
उत्तम और सत्य वाणियो द्वारा सन्मार्ग की प्रेरणा देनी वाली ,कुमति को दूर कर सुमति जगाने वाली सरस्वती देवी हमारे यज्ञ को क्षारण करती हैं ।

//Yajurveda 20.86: Scholarly woman rushes an exhilaration within us that comes only through knowledge. She enlightens our knowledge, applications and actions.//
अनंत अन्तरिक्ष मे दिव्य रसो की वर्षा द्वारा सत्कर्म की प्रेरणा देने वाली सरस्वती देवी सभी की बुद्धियो को प्रकाशित करे ।




इंग्लिश मे वो अर्थ जो अनार्य समाज के मूर्ख संस्थापक ने निकाला है और दूसरा सीधे वेदों से मेंने प्रभु की कृपा से निकाला है । में  आशा करता हूँ की आप सभी उस अनार्य समाज के मूर्ख संस्थापक की  मानसिक दशा भी सही तरीके से समझ जाएंगे । यह उसकी आर्य धर्म को दूषित करने की बहुत ही गहरी चाल थी । जिसको बागडोर कुछ मूर्ख सम्हाल कर बैठे हैं । उस अनार्य समाज के मूर्ख संस्थापक के विषय मे एक समय की घटना है जब अनार्यता का भूत उसमे जन्म ले रहा था । एक बार वो अनार्य एक राजयोग की किताब ले आया और उसमे दिए गए चक्रो के विषय मे पढ़ा और उसको उन चक्रो को शरीर मे देखने की उत्सुकता हुई । उसने नदी किनारे बहता एक मृत शरीर पकड़ा और उस लगा उसको चीर-फाड़ कर देखने । जब उसको उस किताब मे दिए चक्र उसकी मंद दृष्टी से नाही द्खाई दिए तो उसने राजयोग की महान किताब को गलत मान कर फाड़ दिया और उसी मृत शरीर के साथ बहा दिया । वो मूर्ख नही जानता था की जिन्हे चक्र कहा गया है वो शरीर मे रीड ही हड्डी से निकलने वाले ग्रंथियो के  समूह ( गुच्छ ) है जो शरीर मे अलग-अलग स्थानो से निकलकर शरीर मे फ़ेल जाते हैं । इस तरह की ना जाने कितनी मूर्खता पूर्ण कार्य उस अनार्य ने किए हैं ।

यह लिंक पर इसके प्रमाण देखें  
http://agniveer.com/3548/woman-foundation-of-knowledge/

मेरा सवाल आप सब से यह है की क्या उस अनार्य की इस महान मूर्खता के प्रमाणित होने के बाद किसी भी तरह उसके किसी भी प्रमाण को सत्या माना जा सकता है ।

1 टिप्पणी:

  1. वेदो को प्रदूषित करनेका हीन कार्य अनार्य समाज द्वारा हो रहा हैं । वैदिक सभ्यता का हनन करने पर तुले इस समाजमें कोई भी, जब चाहे, चाहे जिस अवस्थामें हो, चाहे जो परिधान किया हो, जबतक अनुकूलता है आहूति दे सकता हैं । क्या इसे यज्ञ कहते हैं । वेद को बडा संकूचित कर दिया हैं, इस लोगोने । pl. visit www.audichyabrahmsamaj.in --> click on blog

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