गुरुवार, 18 नवंबर 2010

शनिदेव का तेल से संबंध


                                                                        ॐ श्री शनिगनेशाय  नमः 

          शनिदेव(शनिग्रह) के चुमकीय तरंगें बहुत ही शक्तिशाली हैं , और उनका सबसे अधिक प्रभाव शनिदेव की धातु लोहे पर होता है । प्रत्येक जीव के शरीर मे लोह तत्व होता है ,तो शनि की चुम्बकीय तरंगों का प्रभाव होना स्वाभाविक है । ज्योतिष मे शनिदेव को रोग और दुख का कारण बताया गया है । तो मेरे अनुमान से जीवों के शरीर मे लोह तत्व ही रोगों का मुखय कारक होना चाहिए । इसको अभी मुझे बहुत समझना है । परंतु यह तो तय है की शनिदेव की चुम्बकीय तरंगें जीवों को प्रभावित करती हैं । और शनिदेव का तेल से यह संबंध है कि , तेल चुबकीय तरंगों को पाने पार नही जाने देता या चुम्बकीय तरंगों के रास्ते मे अवरोध उत्पन्न करता है । यदि  चुंबक  को तेल मे डूबा दिया जाय तो चुम्बकीय शक्ती पूरी तरह खत्म हो सकती है । यदि शनिदेव के दुष्प्रभाव से पीड़ित शरीर पर तेल की मालिश करे तो वो निश्चित ही शनिदेव के दुष्प्रभाव से बच सकता है । तेल का अन्य ग्रहों पर भी प्रभाव     


                                            तेलाभ्यंगे रवो तापः  सोमे शोभा कुजे मृतिः   ।
                                           बुधे धनं गुरो हानिः  शुक्रे दुखं शनों सुखं         । । 
                                           रवो पुष्पं गुरो दूर्वा भौमवारे तू म्रत्तिकाः         । 
                                           गोमयं शुक्रवारे च तेलाभ्यंगे न दोषभाक       । । 
                                           साषर्पं गंधतैलं च वत्तेलं पुष्पवासितं             । 
                                           अन्य द्र्व्ययुक्तं तेलं न दुष्यति कदाचन          । । (निर्णय सिंधु )

रविवार को तेल लगाने से ताप, सोमवार को शोभा ,भोमवार को म्रत्यु (आयु छीनता ), ,बुधवार को धन प्राप्ति ,गुरुवार को हानी ,शुक्रवार को दुखह शनिवार को सुख होता है । यदि निषिद्ध वारों मे तेल लगाना हो तो ,रविवार को पुष्प ,गुरुवार को दूर्वा, बोमवार को मिट्टी ,शुक्रवार क9ओ गोबर , तेल मे डालकर लगाने से दोष नही होता । गंधयुक्त पुष्पों से सुवासित ,अन्य पदार्थों से युक्त(आयुर्वेद के अनुसार),तथा सरसों का तेल दूषित नही होता । 

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