अनंतकोटी ब्रहमाण्डनायक श्री महागणेशजी को मेरा शत शत नमन
आज हर धर्म मे दो प्रकार के संप्रदाय है । जो साकार ब्रह्म को मानते हैं वो निराकार ब्रह्म को भी मानते हैं परंतु जो निराकार ब्रह्म को मानते हैं वो साकार ब्रह्म की नही मानते और पलट इसकी आलोचना भी करते हैं ।इस तरह हर धर्म मे हैं । हिंदुओं मे आर्य ,जैन मे स्वेतांबर और दिगंबर ,मुस्लिमो मे सिया सुन्नी एसे ही ईसाइयों मे भी हैं सब कंही न कंही हिन्दू धर्म का अंश रह चुके हैं इस बात का प्रमाण सभी धर्मो के धर्मग्रंथों मे मिलता है। मै यंहा सिर्फ उन हिंदुओं को जो आर्य समाज को मानते हैं । यह पूछता हूँ की हमको तो विश्वास है ब्रह्म के साकार और निराकार दोनों होने का और हम प्रमाणित भी कर सकते हैं पर क्या वो प्रमाणित कर सकते हैं की सिर्फ निराकार ब्रह्म है , कभी नही कर सकते । उन्होने सिर्फ वेदों की एक बात पकडली है "निराकार ब्रह्म "उसके आगे न कुछ बता सकते न ही प्रमाणित कर सकते हैं । परंतु मै यंहा ब्रह्म को जिसको वेद और शास्त्रों मे पूरी तरह समझाया गया है ब्रह्म किसको कहा गया है ब्रह्म मे तीन गुणो का होना कहा गया है 1.उतपत्ती 2.जीवन 3.लय या मिट्जाना या समाप्त हो जाना इसी आधार पर औंकार को ब्रह्म (शब्द ब्रह्म) कहा गया है अ ,उ,म यंहा 'अ' उतपत्ती दिखाता है ,'उ' जीवन दिखाता है और 'म' लय होना दिखाता है इसी प्रकार ब्रह्म का स्वरूप हैं श्री ब्रह्माजी जो उतपत्ती को दिखाते है ,श्री विष्णुजी जीवन को दिखाते हैं और श्री शंकरजी प्रलय, काल ,लय या मौत को दिखाते हैं हमारे ब्रह्मांड का विस्तार अनंत है और प्रत्येक जगह यह तीनों गुण मिलते हैं तो ब्रह्म का साकार रूप तो प्रमाणित हो ही जाता है इसी तरह सूक्छ्मता भी अनंत है और सुक्छ्म से सुक्छ्म मे भी यही गुण है अर्थात वंहा भी ब्रह्म हैं इसी अनंतता के कारण ब्रह्म को निराकार कहा गया है यंहा वेदों और शास्त्रों के अनुसार यह बात प्रमाणित होती है की जिनको हम देख उसके हैं वंहा यह गुण होने के कारण ब्रह्म हैं इसलिए साकार हैं और जिनका हम अनुमान नही लगा उसके या गड़ना नही कर सकते वो निराकार और निर्गुण हैं इसी कारण यही जाता है की "अहम ब्रह्मास्मि" यानि मै ब्रह्म के समान हूँ क्योंकि मेरा भी जन्म होता है ,मै भी जीवन जीता हूँ,और मेरा लय भी होता है। यही आत्म ज्ञान भी है कई लोगों को इस बात से ही इतना घमंड हो जाता है की वो स्वयंम को ही ब्रह्म मानने लगते हैं परंतु ऐसा नही है हर ब्रह्म के ऊपर भी महाब्रह्म है हर शिव के ऊपर महा शिव है और हर विष्णु के ऊपर महाविष्णु है और इस क्रम का विस्तार और सुक्छ्म्ता दोनों अनंत हैं मै यंहा यह कहना चाहता हूँ की जिन वेदों के आधार पर आप निराकार ब्रह्म को मानते हो उन्ही वेदों के आधार पर आप साकार को क्यों नही मानते हैं क्यों वेदों और शास्त्रों के शब्दों को तोड़ते मरोड़ते हो क्यों लोगों को भ्रमित करते हो । शायद यह वे लोग है जो लंबे और कठोर प्रयत्न नही करना चाहते ,नियमो मे नही बंधना चाहते अशंतोषी, असन्तुष्ट हैं यह लोग । परंतु जैसे भी हैं किसी न किसी रूप मे ब्रह्म को मानते हैं और हमको उनके द्वारा किसी भी रूप मे ब्रह्म को माने जाने पर कोई भी आपत्ती नही है ,आपत्ती है तो बस इस बात पर की सगुण ब्रह्म या मूर्ति पूजा मे दोष न निकालें ।
जय हो
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जवाब देंहटाएंयह सत्य है कि हिन्दु धर्म अन्य सभी धर्मों से पुराना है। हिन्दु शब्द इस्लामी आक्रान्ताओं के दिमाग की उपज है। हमारे किसी भी धर्म ग्रन्थ (वेद,गीता,रामायण,पुराण,उपनिषद) में "हिन्दु" शब्द का उपयोग नहीं हुआ है। यह शब्द एक हजार साल से ज्यादा प्राचीन नहीं है। हमारे सभी धर्म ग्रंथ संस्कृत भाषा में लिखे गये हैं। संस्कृत भाषा का उद्भव और विकास ईसा पूर्व २००० से लेकर ईसा पूर्व ४०० तक का विद्वानों ने माना है। वाल्मिकी के आश्रम में लव कुश का जन्म हुआ था । वाल्मिकी लिखित रामायण संस्कृत भाषा में है। सभी तथ्यों के परिप्रेक्छ में हिन्दु धर्म की उत्पत्ति ३५०० वर्ष पूर्व होने के बारे में विद्वान एकमत हैं।
जवाब देंहटाएं@ dr.aalok dayaram
जवाब देंहटाएंहम हिन्दू किसी भी भ्रम की दशा मे शास्त्रों को ही प्रमाण मानते हैं । आप हिंदुओं की प्राचीनता के विषय मे आप उक्त लेख पढे
समय की गढ़ना , श्रष्टी की उत्पत्ती का अति संक्षिप्.
BAAS Voice का आमंत्रण :
जवाब देंहटाएंआज हमारे देश में जिन लोगों के हाथ में सत्ता है, उनमें से अधिकतर का सच्चाई, ईमानदारी, इंसाफ आदि से दूर का भी नाता नहीं है। अधिकतर तो भ्रष्टाचार के दलदल में अन्दर तक धंसे हुए हैं, जो अपराधियों को संरक्षण भी देते हैं। इसका दु:खद दुष्परिणाम ये है कि ताकतवर लोग जब चाहें, जैसे चाहें देश के मान-सम्मान, कानून, व्यवस्था और संविधान के साथ बलात्कार करके चलते बनते हैं और किसी को सजा भी नहीं होती। जबकि बच्चे की भूख मिटाने हेतु रोटी चुराने वाली अनेक माताएँ जेलों में बन्द हैं। इन भ्रष्ट एवं अत्याचारियों के खिलाफ यदि कोई आम व्यक्ति, ईमानदार अफसर या कर्मचारी आवाज उठाना चाहे, तो उसे तरह-तरह से प्रता‹िडत एवं अपमानित किया जाता है और पूरी व्यवस्था अंधी, बहरी और गूंगी बनी रहती है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो आज नहीं तो कल, हर आम व्यक्ति को शिकार होना ही होगा। आज आम व्यक्ति की रक्षा करने वाला कोई नहीं है! ऐसे हालात में दो रास्ते हैं-या तो हम जुल्म सहते रहें या समाज के सभी अच्छे, सच्चे, देशभक्त, ईमानदार और न्यायप्रिय लोग एकजुट हो जायें! क्योंकि लोकतन्त्र में समर्पित एवं संगठित लोगों की एकजुट ताकत के आगे झुकना सत्ता की मजबूरी है। इसी पवित्र इरादे से भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) की आजीवन सदस्यता का आमंत्रण आज आपके हाथों में है। निर्णय आपको करना है!
http://baasvoice.blogspot.com/
इस सुंदर से चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए आपको शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंGood effort. Keep it up.
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