ॐ शक्ति साहिताय श्री आदि गनेशाय नमः
श्री शौनकजी ने पूछा :- त्रिकालज्ञ महामुने प्र्द्धोत ने कैसे मलेछ्य-यज्ञ किया ?मुझे वह सब बतलाए ।
श्री सूतजी ने कहा:- महमूने किसी समय क्षेमक के पुत्र प्रद्दोत हस्तीनपुर मे विराजमान थे । उस समय नारदजी वंहा आए । उनको देखकर प्रसन्न हो राजा प्र्द्धोत ने विधिवत उनकी पूजा की । सुखपूर्वक बैठे हुये मुनि ने राजा प्रद्दोत से कहा -'मलेछ्यो के द्वारा मारे गए तुम्हारे पिता यमलोक को चले गए हैं । मलेछ्य यज्ञ के प्रभाव से उनकी नरक से मुक्क्ती होगी और उन्हे स्वर्गीय गती प्राप्त होग़ी यह सुनकर राजा प्रद्धोत की आँखें क्रोध से लाल हो गई । तब उन्होने वेदज्ञ ब्राह्मणो को बुलाकर कुरुच्चेत्र मे मलेछ्य-यज्ञ तत्काल आरंभ करा दिया । सोलह योजन मे चतुष्कोण यज्ञ-कुंड का निर्माण कराकर देवताओं का आव्हान कर मलेछ्यो का हनन किया ।ब्रांहनों को दक्छिना देकर अभिषेक कराया । इस यज्ञ के प्रभाव से उनके पिता छेमक स्वर्गलोक चले गए । तभी से राजा प्रद्धोत मलेछ्य-हंता (मलेच्च्योन को मरने वाले) नाम से प्रसिद्ध हो गए ।
मलेच्छया रूप मे स्वयंम कली ने ही राज्य किया था । अनंतर कली ने अपनी पत्नी के साथ श्री नारायण की पूजा कर दिव्य स्तुती की ;स्तुती से प्रसन्न होकर श्री नारायण प्रगत हो गए । कली ने उनसे कहा-'हे नाथ !राजा वेदवान के पिता प्रद्धोत ने मेरे स्थान का विनाश कर दिया है और मेरे प्रिय मलेछ्यो को नष्ट कर दिया है ।'
श्री भगवानजी ने :- कले ! कई कारणो से तुम अन्य युगों की अपेछा श्रेस्ठ हो । अनेक रूपों को धरकर मे तुम्हारी इच्छा को पूर्ण करूंगा । आदम नाम के पुरुष और हव्यवती (हौवा) नाम की पत्नी से मलेछ्य वंश की व्रद्धी करने वाले उत्पन्न होंगे । यह कहकर श्री हरी अंतर्ध्यान हो गए और कली को इससे बहुत आनंद हुआ । उसने नीलांचल पर्वत पर आकार कुछ दिनो तक निवास किया ।
राजा वेदवान को सुनंद नाम है पुत्र हुआ और बिना संतति के ही वह मृत्यु को प्राप्त हो गया और धीरे-धीरे मलेछ्यो का बल बदने लगा । तब नेमिषारण्य निवासी 88 हजार ऋषि मुनि हिमालय पर चले गए और वे बद्री छेत्र मे आकार भगवान विष्णु की कथा-वार्ता मे संलप्त हो गए ।
श्री सूतजी ने पुनः कहा :-मुने ! द्वापर युग के 16हजार वर्ष शेष काल मे आर्य देश की भूमि अनेक कीर्तियों से समन्वित रही ;पर इतने समय मे कंही शूद्र और कंही वर्णसंकर राजा भी हुये । 8200 वर्ष पूर्व द्वापर युग के शेष रह जाने पर यह भूमि मलेछ्य देश के राजाओ के प्रभाव मे आने लग गई थी । मलेछ्यो का आदि पुरुष आदम ,उसकी श्त्री हव्यवती (हौवा) दोनों इंद्रिय दमन कर ध्यान पारायण रहते थे । ईश्वर ने प्रदान नगर के पूर्व भाग मे चार कोस वाला एक रमनीय महावन का निर्माण किया । पापव्रक्छ के नीचे जाकर कलियुग सर्परूप धरण कर होवा के पास आया । उस धूर्त कली ने धोका देकर होवा को गूलर के पत्तों मे लपेटकर दूषित वायुयुक्त फल उसे खिला दिया ,जिसके कारण श्री हरी विष्णुजी की आज्ञा भंग हो गई । इससे अनेक पुत्र हुये ,जो सभी मलेछ्य कहलाए ।आदम पत्नी के साथ स्वर्ग चला गया । उसका श्वेत नाम से विख्यात पुत्र हुआ, जिसकी 112 वर्ष की आयु कही गई है । उसका पुत्र अनूह हुआ ,जिसने अपने पिता से कुछ कम ही वर्ष शाशन किया । उसका पुत्र कीनाश था ,जिसने पितामह के समान राज्य किया ।महाललाल नाम का उसका पुत्र हुआ । उसका पुत्र मानगर हुआ। उसको विरद नाम का पुत्र हुआ।और अपने नाम से नगर बसाया ।उसका पुत्र भगवान श्री हरी विष्णुजी का भक्ति परायण हनुक हुआ। फलों मनगर हवन कर उसने अध्यात्मतत्व मनगर ज्ञान प्राप्त किया । वह धर्म परायण मलेछ्य शासरीर स्वर्ग गया । इसने द्विजों ( ज्ञानी ,पंडितों) के आचार-विचार क़ा पालन किया ।फिर भी विद्वानो द्वारा वह मलेछ्य ही कहा गया । मुनियों के द्वारा विष्णुभक्ति, अग्निपूजा ,अहिंसा, तपस्या और इंद्रिय दमन मलेछ्यो के धर्म कहे गए हैं ।हनुक क़ा पुत्र मतोच्छिल हुआ । उसका पुत्र लोमक हुआ , अंत मे उसने स्वर्ग प्राप्त किया । तदन्तर उसका न्यूह नाम क़ा पुत्र हुआ ,न्यूह के सम,शीम और भाव नाम के तीन पुत्र हुये । न्यूह अध्यात्म परायण तथा भगवान श्री हरी विष्णुजी क़ा भक्त था । किसी समय उसने स्वप्न मे भगवान श्री हरी विष्णुजी क़ा दर्शन प्राप्त क़िया और उन्होने न्यूह से कहा -'वत्स ! सुनो ,आज से सतवे दिन प्रलय होगा । हे भक्त श्रेष्ठ ! तुम सभी लोगो के साथ नाव पर चड्कर अपने जीवन की रक्छा करना । फिर तुम बहुत विख्यात व्यक्ति बन जाओगे । भगवान की बात मानकर उसने एक सूदरद नोका क़ा निर्माण कराया , जो तीन सो हाथ लंबी ,पचास हाथ चोड़ी और तीस हाथ ऊंची थी । और सभी जीवो से समन्वित थी । भगवान श्री स्वप्न विष्णुजी के ध्यान मे तत्पर होता हुआ वह अपने वंशजो के साथ उस नाव पर चड़ गया ।इसी बीच इन्द्र देव ने चालीस दिनो तक लगातार मूसलाधार व्रष्टी कराई ।सम्पूर्ण भारत सागरों के जल से प्लावित हो गया ।चारो सागर मिल गए , प्रथवी डूब गई ,पर हिमालय पर्वत का बद्री क्षेत्र
पानी से ऊपर ही रहा , वह नही डूबा पाया । 88 हजार ब्रह्मवादी मुनी-गण ,अपने शिष्यों के वंही स्थिर और सुरक्छित रहे । न्यूह भी अपनी नोका के साथ वंही आकार बच गए । संसार के शेष सभी प्राणी विनष्ट हो गए ।उस समय मुनियों ने भगवान श्री हरी विष्णुजी की माया की स्तुती की ।
मुनियो ने कहा- 'महाकाली को नमस्कार है , माता देवी को नमस्कार है ,भगवान श्री हरी विष्णुजी की पत्नी महालक्ष्मीजी को ,राधा देविजी को और रेवतीजी ,पुष्पवतीजी तथा स्वर्णवातीजी को नमस्कार है । देवी कामाक्षीजी, मायाजी और माताजी को नमस्कार है । महावायु के प्रभाव से ,मेघो के भयंकर शब्द से ,व उग्र जल की धाराओ से । दारुण भय उत्पन्न हो गया है । देवी भैरवीजी !आप इस भय से हम किंकोरोन की रकछा करो । ' देविजी ने प्रसन्न होकर जल की व्रद्धी को तुरंत शांत कर दिया । हिमालय की प्रांतवारती शिषिणा नाम की भूमी एक वर्ष मे जल क़े हट जाने पर स्थल क़े रूप मे दीखने लगी थी । न्यूह अपने वंशजो क़े साथ उस भूमि पर आकार निवास करने लगा ।
शौनकजी ने कहा - मुनीश्वर ! प्रलय क़े बाद इस समय जो कुछ वर्तमान है ,उसे अपनी दिवि द्रश्ती क़े प्रभाव से जानकार बतलाए ।
सुतजी बोले- शौनक !न्यूह नाम का पूर्व निर्दिष्ट मलेछ्य राजा भगवान श्री विष्णुजी क़े भकती मे लीन रहने लगा,इससे प्रसन्न होकार भगवान ने उसके वंश की व्रद्धी की । उसने वेद वाक्य और संस्कृत से बहिर्भूत मलेछ्य भाषा का विस्तार किया । और कली की व्रद्धी क़े लिए ब्राह्मी* भाषा को अपशब्दावली भाषा बनाया और उसने अपने तीनों पुत्र -सीम शाम और भाव क़े नाम क्रमशः सिम ,हाम और याकूत रख दिये ।याकूत क़े सात पुत्र हुये-जुम्र ,माजूज ,मादी,यूनान,तुवलों,सक,तथा तीरास । इशी की नाम पर अलग-अलग देश प्रसिद्ध हुये । जुम्र क़े दस पुत्र हुये उनके नामो से भी देश प्रसिद्ध हैं ।यूनान की अलग-अलग साँटने । ईलीश,तरलीश,किती और हूदा -इन चरो नाम से उनके हुयी । तथा उनकी नाम से भी अलग-अलग देश बसे ।न्यूह एक द्वितीय पुत्र हाम (शम) क़े चार पुत्र कहे गए हैं-कुश,मिश्र,कुज,कनआ । इनके नाम से भी देश उनके हुये । कुश क़े छह पुत्र हुयी -सवा, हबील,सर्वात,उरगाम,सावटिका,और महाबली निमरुह । इनकी भी कलाँ,सिना,रोरक,अक्कड़ बावून और रसनादेशक आदी संताने हुयी । इतनी bate सुनाकर श्री सुतजी समाधिस्थ हो गए ।
बहुत वर्षो बाद उनकी समाधी खुली और वे कहने लगे -ऋषियों !अब न्यूह क़े ज्येष्ठ पुत्र राजा सिम क़े वंश का वर्णन करता हूँ ,मलेछ्य-राजा सिम ने 500 वर्षो तक भलीभती राज्य किया । अर्क्न्सद उसका पुत्र था,जिसने 434 वर्षो तक राज्य किया । उसका पुत्र सिंहल हुआ ,उसने भी 460 वर्षो तक राज्य किया । उसका पुत्र इब्र हुआ ,उसने पिता क़े समान ही राज्य किया । उसका पुत्र फजल हुआ ,जिसने 240 सिंहल तक राज्य किया । उसका पुत्र राऊ हुआ उसने 237 सिंहल तक राज्य किया । उसके जुज़ नमक पुत्र हुआ ,पिता क़े समान ही उसने राज्य किया । उसका पुत्र नहुर हुआ ,उसने 160 वर्षॉ तक राज्य किया । नहुर का पुत्र ताहर हुआ ,उसने पिता क़े समान ही राज्य किया । उसके अविराम,नहुर और हरण तीन पुत्र हुये ।
हे मुने !इस प्रकार मीने नाममात्र से मलेछ्य राजाओ का वर्णन किया । देवी सरस्वतीजी क़े शाप से ये राजा मलेछ्य भाषा-भाषी हो गए ।और आचार मे अधम सिद्ध हुये ।कलियुग मे इनकी संख्या मे विशेष व्रद्धी हुयी । ,किन्तु मेने संछेप मे ही इन वंशो का वर्णन किया । संस्कृत * भाषा भारत वर्ष मे ही किसी तरह बची रही (1) आँय भागो मे मलेछ्य भाषा ही आनंद देने वाली हुयी ।
सुतजी पुनः बोले -भार्गवतनय महमूने शौनक !तीन सहश्त्र वर्ष कलियुग क़े बीत जाने पर अवन्ती नागरी मे शंख नाम का राजा हुआ और मलेछ्य देशो मे शक नाम का राजा हुआ । इनकी अभिव्रद्धी का कारण सुनो । 2000 भार्गव कलियुग क़े बीत जाने पर मलेछ्य वंश की अधिक व्रद्धी हुयी और विश्व क़े अधिकांश भाग की भूमि मलेच्छया-मयी हो गई तथा भांति-भांति क़े मत चल पड़े ।सरस्वती का तट ब्रह्मावर्त-क्षेत्र ही शुद्ध बचा था । मूषा नाम का व्यक्ति मलेछ्यो का आचार्य और पूर्व पुरुष था । उसने अपने मत को सारे संसार मे फैलाया । कलियुग क़े आने से भारत मे देव-पूजा और वेद-भाषा प्रायः नष्ट हो गई । भारत मे भी धीरे-धीरे प्रकरत और मलेछ्य भाषा का प्रचार हुआ ।ब्रज भाषा और महार्श्त्री -ये प्राकरत भाषा क़े मुख्य भेद हैं । यावनी और गुरुपिंडिका (अंग्रेजी ) मलेछ्य भाषा क़े मुख्य भेद हैं । इन भाषाओं क़े और भी 4 लाख सुक्छ्म भेद हैं ।प्राकरत मे पानी को पनीय और बुभुक्छा को भूख कहते हैं । इसी तरह मलेछ्य भाषा मे पीटर को पेतर-फादर और भ्राटर को बादर-ब्रदर कहते हैं । इसी प्रकार आहुती को आजू ,जानु को जेनू , रविवार को संडे ,फाल्गुन को फरवरी और षष्ठी को सिक्स्टी कहते हैं ।भारत मे अयोध्या ,मथुरा ,काशी आदि पवित्र सात पुरिया हैं , उनमे भी भी अब हिंसा होने लग गई है । डाकू,शबर,भिल्ल तथा मूर्ख व्यक्ति भी आर्यदेश-भारतवर्ष मे भर गए हैं । मलेछ्य देश मे मलेछ्य-धर्म को मानने वाले सुख से रहते हैं ।यही कलियुग की विशेषता है ।भारत और इसके द्वीपो मे मलेछ्यो का राज्य रहेगा ,esaa समझकर हे मुनिश्रेष्ठ ! आपलोग हरी इसके भजन करें ।
(अध्याय 4/5)
*ब्राह्मी को लिपियो इसके मूल माना गया है ।राजा न्यूह क़े ह्रदय मे स्वयं भगवान श्री विष्णुजी ने उसकी बुद्धी को प्रेरित किया ,इसलिए उसने जो lipee को उल्टी गति से दाहिनी से बाई और प्रकाशित किया । जो उर्दू ,अरबी,फारसी और हिब्रू लेखन-प्रक्रिया मे देखी जा सकती है ।
* पहले संस्कृत इसके पूरे विश्व मे प्रचार था ।बलीद्वीप मे अब भी इसका पूरा प्रचार है ।तथा सुमात्रा,जावा , जापान आदिम मे कुछ अंश मे इसका प्रचार है ।बोर्नियो,इंडोनेशिया,कंबोडिया और चीन मे भी बहुत पहले इसका प्रचार था । बीच मे संस्कृत की बहुत उपेक्छा हुयी । पर जर्मन ,रूस और ब्रिटेन क़े निवासियो क़े सतप्रयास से अब पुनः चीन सभी विश्व-विद्ध्यालयों मे अध्यापन होने लगा है । भारत मे ही इसकी उपेक्छा हो रही है । पश्चत्यों की वेज्ञानिक उन्नती मे संस्कृत इसके ही मुख्य योगदान रहा है । यूरोप की गोथ भाषा संस्कृत से बहुत मिलती है । सभी सभ्य भाषाओ क़े व्याकरण पर संस्कृत का गहरा प्रभाव है । मोनियर विलियम तथा राजटर्नर ने अपने-अपने शब्दकोशो मे इसके अनेक अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किए हैं ।
किसी भी धर्म का अपमान ना करें
जवाब देंहटाएंयह किसी का आपमान नही है हिन्दू पुराणो मे इतिहास लिखा होता है ? और यह वो ही इतिहास है । और सत्य है । में किसी धर्म के खिलाफ नही हूँ खिलाफ हूँ तो धर्म के नियमो के आप quraanhindi.com पर पूरी कुरान पड़े क्या यही धर्म है बताएं । आप मुझसे फेसबुक भी एड कर सकते हैं " विनेक दुबे " के नाम से हिंदुओं का सभी धर्मो को एक मानने का भ्रम दूर होना चाहिए ।
जवाब देंहटाएंबहुत अजीब लगा आपका ये लेख..सब कुछ नया-नया और अटपटा सा लग रहा था..इसलिए पूरा लेख मैं नहीं पढ़ पाया..हिंदु धर्म में तो आदम और हौव्वा का कहीं वर्णन नहीं है...जो भी हो ये जानकर अच्छा लगा कि आप इतनी गहराई से हिंदु धर्म का अध्ययन कर रहे हैं..अगर आपकी लेख में सच्चाई होगी तो उसमें शक्ति भी होगी और और एक दिन वो हम जैसे लोगों के समझ में भी जरुर आ जाएगी..आप लिखते रहिए.हम जैसे लोग आपके साथ हैं....
जवाब देंहटाएंआप मुझे उस धर्म ग्रन्थ का नाम बताएं जिसमे मलेच्छ को ईसाई तथा मुस्लिम बताया गया है, में भी पढ़ना चाहता हूँ
जवाब देंहटाएंजय श्री हरि। भविष्य पुराण में भी है आप पढिये, अपने आप समझ जाएंगे कि म्लेच्छ किसे कहा है। प्रतिसर्ग पर्व, प्रथमखण्ड, अध्याय 4-5
हटाएं@योगेन्द्र पालजी
जवाब देंहटाएंऊपर लिखा है ब्रह्मांड पुराण के अनुसार
विनेक दुबे जी, कुराअन में बतायी गयी नूह की कश्ती मिल गयी पर अफसोस वहां जाकर आप अपना दावा नहीं कर रहे हो, मुस्लिम,इसाई और यहूदीयों ने मिलकर जांच की उनकी किताबों में इसका जिक्र है, सबसे सच्चा जिक्र कुरआन में है, वैज्ञानिक खोज साबित कर चुकी कि दुनिया कभी पूरी नहीं डूबी केवल खास क्षेत्र ही डूबा ऐसा केवल जिक्र कुरआन में है, देख लो इसी लिए दुनिया का हर चौथा इन्सान- मुसलमान Every Fourth Person of This World is following ISLAM ! है
जवाब देंहटाएंअब इन्तजार कैसा पहुचो और कश्ती के दीदार कर लो
कश्ती-ए-नूह(मनु) को पुरातत्ववेत्ताओं ने आखिर ख़ोज ही निकाला
आपकी काली स्क्रीन में लिंक छुप रहे हैं, बुरी नजर वाले तेरी स्क्रीन भी काली
जवाब देंहटाएंदुनिया का हर चौथा इन्सान- मुसलमान Every Fourth Person of This World is following ISLAM !
http://hamarianjuman.blogspot.com/2009/10/every-fourth-person-of-this-world-is.html
कश्ती-ए-नूह(मनु) को पुरातत्ववेत्ताओं ने आखिर ख़ोज ही निकाला
http://hamarianjuman.blogspot.com/2009/10/blog-post_6333.html
www.quranhindi.com से कुरआन में यहीं दिखा देता हूं, जरा बताओ किस बात पर एतराज है
जवाब देंहटाएंquran:
किसी नबी के लिए यह उचित नहीं कि उसके पास क़ैदी हो यहाँ तक की वह धरती में रक्तपात करे। तुम लोग संसार की सामग्री चाहते हो, जबकि अल्लाह आख़िरत चाहता है। अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्त्वदर्शी है॥8:67॥
यदि अल्लाह का लिखा पहले से मौजूद न होता, तो जो कुछ नीति तुमने अपनाई है उसपर तुम्हें कोई बड़ी यातना आ लेती॥8:68॥
अतः जो कुछ ग़नीमत का माल तुमने प्राप्त किया है, उसे वैध-पवित्र समझकर खाओ और अल्लाह का डर रखो। निश्चिय ही अल्लाह बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है॥8:69॥
ऐ नबी! जो क़ैदी तुम्हारे क़ब्जें में है, उनसे कह दो, "यदि अल्लाह ने यह जान लिया कि तुम्हारे दिलों में कुछ भलाई है तो वह तुम्हें उससे कहीं उत्तम प्रदान करेगा, जो तुम से छिन गया है और तुम्हें क्षमा कर देगा। और अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है।"॥8:70॥
विश्व गौरव
हटाएंविनेक दुबे का जवाब दो
क्या हुआ बोलती बंद हो गयी
दुनिया को बेवकूफ बना रहे हो अगर इतना सच्चा कुरान है तो उस पे और इस्लाम पे खुल कर चर्चा क्यों नहीं करते हो
क्यों पाकिस्तान जैसे देशो में इस्निन्दा कानून है किसी को जबरजस्ती धर्म को मानने पे मजबूर क्यों करते हो
वो उसका निजी मामला है
@ vishv gaurav //राजा वेदवान को सुनंद नाम है पुत्र हुआ और बिना संतति के ही वह मृत्यु को प्राप्त हो गया और धीरे-धीरे मलेछ्यो का बल बदने लगा । तब नेमिषारण्य निवासी 88 हजार ऋषि मुनि हिमालय पर चले गए और वे बद्री छेत्र मे आकार भगवान विष्णु की कथा-वार्ता मे संलप्त हो गए //
जवाब देंहटाएंaur
//भगवान श्री स्वप्न विष्णुजी के ध्यान मे तत्पर होता हुआ वह अपने वंशजो के साथ उस नाव पर चड़ गया ।इसी बीच इन्द्र देव ने चालीस दिनो तक लगातार मूसलाधार व्रष्टी कराई ।सम्पूर्ण भारत सागरों के जल से प्लावित हो गया ।चारो सागर मिल गए , प्रथवी डूब गई ,पर हिमालय पर्वत का बद्री क्षेत्र
पानी से ऊपर ही रहा , वह नही डूबा पाया । 88 हजार ब्रह्मवादी मुनी-गण ,अपने शिष्यों के वंही स्थिर और सुरक्छित रहे । न्यूह भी अपनी नोका के साथ वंही आकार बच गए । संसार के शेष सभी प्राणी विनष्ट हो गए ।उस समय मुनियों ने भगवान श्री हरी विष्णुजी की माया की स्तुती की । //
यह दोनों पढ़ लो 88 हजार ऋषिमुनी और उनके अनुयायी पहले से हिमालय पर थे । न्यूह की नोका मे सिर कुछ ही लोग । और इसके बाद एक परिवार के माँ-बेटा,बाप-बेटी और भाई बहनो ने न जाने कितनी सदियों तक गलत सम्बन्धों से संतान को जन्म दिया ।
और जो अमनु की बात की है वो कल्प भेद से भिन्न है और उन्होने प्रत्येक जीव के कई जोड़े नाव मे चदाए थे । नयाउह के समान मूर्ख नही थे वे ।
कल्प का तो तुम अर्थ भी नाही जानते कितना समय होता है इतने समय मे न जाने कितने हिस लाम होकर समाप्त हो जाते हैं ।
मनु की कथा कल्प भेद से न्यूह से भिन्न है और उन्होने एक प्रजाती के कई जोड़े नाव मे रखे थे न्यूस के समान हसिर्फ एक-एक नही
जवाब देंहटाएंऔर पूरा पढ़ो 88000 ऋषि अपने अनुयायी के साथ पहले से वनहा थे
यानहा हिंदुओं से इसका कोई संबंध नही है । अब कुरान की इसके आगे की आते भी देता हूँ ।
यह ले कुरान की असलियत
जवाब देंहटाएं3 -गैर मुसलमानों को घात लगा कर धोखे से मार डालना .
‘मुशरिक जहां भी मिलें ,उनको क़त्ल कर देना ,उनकी घात में चुप कर बैठे रहना .जब तक वह मुसलमान नहीं होते सूरा तौबा -9 :5
4 -हरदम लड़ाई की तयारी में लगे रहो .
“तुम हमेशा अपनी संख्या और ताकत इकट्ठी करते रहो.ताकि लोग तुमसे भयभीत रहें .जिनके बारेमे तुम नहीं जानते समझ लो वह भी तुम्हारे दुश्मन ही हैं .अलाह की राह में तुम जो भी खर्च करोगे उसका बदला जरुर मिलेगा .सूरा अन फाल-8 :60
5 -लूट का माल हलाल समझ कर खाओ .
“तुम्हें जो भी लूट में माले -गनीमत मिले उसे हलाल समझ कर खाओ ,और अपने परिवार को खिलाओ .सूरा अन फाल-8 :69
6 -छोटी बच्ची से भी शादी कर लो .
“अगर तुम्हें कोई ऎसी स्त्री नहीं मिले जो मासिक से निवृत्त हो चुकी हो ,तो ऎसी बालिका से शादी कर लो जो अभी छोटी हो और अबतक रजस्वला नही हो .सूरा अत तलाक -65 :4
7 -जो भी औरत कब्जे में आये उससे सम्भोग कर लो.
“जो लौंडी तुम्हारे कब्जे या हिस्से में आये उस से सम्भोग कर लो.यह तुम्हारे लिए वैध है.जिनको तुमने माल देकर खरीदा है ,उनके साथ जीवन का आनंद उठाओ.इस से तुम पर कोई गुनाह नहीं होगा .सूरा अन निसा -4 :3 और 4 :24
8 -जिसको अपनी माँ मानते हो ,उस से भी शादी कर लो .
“इनको तुम अपनी माँ मानते हो ,उन से भी शादी कर सकते हो .मान तो वह हैं जिन्होंने तुम्हें जन्म दिया .सूरा अल मुजादिला 58 :2
9 -पकड़ी गई ,लूटी गयीं मजबूर लौंडियाँ तुम्हारे लिए हलाल हैं .
“हमने तुम्हारे लिए वह वह औरते -लौंडियाँ हलाल करदी हैं ,जिनको अलाह ने तुम्हें लूट में दिया हो .सूरा अल अह्जाब -33 :50
मोमद के बारे मे भी सब जानता हूँ । लिखूँ क्या ?
भाई विनेक दुबे जी
हटाएंवाह वाह ......
आपके इस कमेन्ट ने गंदे - जाहिल मलिच्छों की पैदाईश और सेकुलर कुत्तों का मुँह बंद कर दिया !!!
जय श्री राम !!!
और कोनसे वेज्ञानिक ने वो नोका पा ली है जरा प्रमाण दो ब्लॉग का लिखा नही
जवाब देंहटाएंनही तो तुम्हारे पोगामाबर के बारे मे हायतुल कुलुब मे उसके ही वंशज ने क्या लिखा है बताता हूँ । जब वो मारा तब भी संभोग कर रहा था और उसका लिंग खड़ा था और विज्ञान के अनुसार एसी मौत अपराधियों की होती है ।
हिन्दू धर्म मे जिसके प्राण पेशाब के रास्ते निकलते हैं वो बहुत ही दुराचारी और अपराधी होता है औए वो सीधे नर्क मे जाता है । और उसके पूरे वंश का नाश होता है जैसा की हुआ । तुम भी वो ही मुसलमान हो जो पहले हिन्दू थे जिनके माँ-बहनो की अरब लुटेरों ने इज्जत लूटी और मार-मार मुसलमान बनाया । अपने पूर्वजों के धर्म को याद करो । जो पुत्र एसा नही करता वो मूत्र के समान होता है । अभी भी हिंदुओं के आनुवांशिक गुण पूरी तरह तुमसे नष्ट नाही हुये हैं । वापस उनकी रक्षा करो नही तो पास के रिश्तों मे विवाह के कारण आने वाली पीढ़ी की रोग से लड़ने के ताकत खतम हो जाएगी और वो किसी भी चोटी बीमारी स एम,आर जाएगी ।
जवाब देंहटाएं