भगवान श्री गणेशजी के धूम्रकेतू रूप को प्रणाम
[ शास्त्रो द्वारा कलियुग मे भगवान श्री गणेशजी का धुम्रकेतू नाम से अवतरित होने के प्रमाण मिलते है जो फ़ैले हुये धुये ( अज्ञान,भ्रम ,प्रदूषण व सभी क्षेत्रो मे फ़ैला संकरण आदि ) को समाप्त कर देने वाले होंगे ]
क्या प्रदुषणो की बातें करने वालो को सिर्फ़ जल,वायू और ध्वनि यह तीन प्रदूषण ही दिख पा रहे हैं मै कुछ और प्रदूषणो की और ध्यान दिलाना चाहता हुं
(१).फ़सलो मे तरह-तरह की संकर जातियो को क्षणिक लाभ के लिये लगातार विकसित किया जा रहा है जबकि वे सब यह जानते हैं कि संकर जातियां बीमारियो से बहुत ही जल्दी प्रभावित हो जाती है साथ ही बीज बनने की क्षमता भी प्रभावित होती है इसके साथ ही अनेक दोषो काभी जम होता है जिसके कारण आने वाले समय मे भारत का शुद्ध और गुणवान देशी बीज समाप्त हो जायेगा । यह फ़सलो मे बीज का प्रदूषण है जिसकी तरफ़ शायद किसी का भी ध्यान नही जा पा रहा है
(२).सरकार द्वारा जब भी वृक्षारोपण किया जाता है तब एसे बेकार के पेड़ पौधे लगाये जाते है जो न तो किसी को छाया देते हैं न ही किसी को फ़ल और न ही आक्सीजन आदि ही उत्सर्जित करते हैं जबकि वृक्षारोपण मे आम,पीपल,नीम आदि जैसे पेड़ लगाये जाने चाहिये जिसमे पीपल और नीम तो आक्सीजन की दृष्टी से बहुत ही उपयोगी हैं इनमे से कुछ पेड़ तो रात और दिन दोनो समय आक्सीजन उत्सर्जित करते रहते हैं अन्ग्रेजो ने जाते समय नीलगिरी के पेड़ लगा दिये हैं जबकि नीलगिरी के पेड़ दलदली जगहो पर लगाये जाते है क्युंकि नीलगिरी बहुत तेजी से पानी धरती से जड़ो द्वारा खीचते रहते हैं एसा कहा जाता है कि करीब १५ लीटर पानी प्रतिदिन नीलगिरी का पेड़ धरती से लेता है और एसे ही कईयो बेकार अनुपयोगी नुकसादेह पेड़ पौधो को लगा दिया गया है जैसे अन्ग्रेजी ईमली, गाजर घांस , बेशरम आदि न जाने कितने एसे बेकार धरती और वायु दोनो को प्रदूषित करने वाले पेड़ पौधे हैं ।
(३). एसे ही दुधारू पशुओ मे भी देखो विदेशी नस्ल के जहरीले पदार्थो को दूध मे देने वाले पशु जैसे जरसी गाय आदि जिनका दूध अनेक बीमारियो को जन्म देने वाला है जिसे भारत के पशुविज्ञानी बता चुके हैं जबकि इसके विपरीत शुद्ध देशी नस्ल की एसी अनेक गाये है जो इस दुनिया मे सबसे अधिक दूध देने वाली गाय हैं कुछ महीने पहले पत्रिका मे इस विषय मे एक पशु विज्ञानी का लेख आया था उसी आधार पर देशी गायो पर यह लेख www.facebook.com/notes/आस्तिक-विनेक-दुबे/भारतीय-गाय-इस-धरती-पर-सभी-गायो-मे-सर्वश्रेष्ठ-क्यूँ-है-/149597388426812लिखा गया था जिसमे विदेशो मे सभी गायो के साथ हुई प्रतियोगिता मे भारतीय नस्ल की गायो ने सबसे अधिक दूध देते हुये प्रथम,द्वितीय व तृतीय तीनो स्थान प्राप्त किये थे साथ ही देशी नस्ल की गायो के दूध अनेक एसे तत्व होते है जो विकिरण और केंसर आदी अनेक बीमारियो से लड़ने मे सहायक है । और अब तो देशी गायो को कृत्रिम गर्भाधान द्वारा एक नई संकर जाती की विषैली पीड़ी को जन्म दिया जा रहा है और यह संकरण चाहे जीवो मे हो फ़सलो मे या पेड-पौधो मे हो या फ़िर वो मनुष्यो मे ही क्युं न हो सभी मे एक जैसा विषैला प्रभाव होता है
सभी क्षेत्रो मे प्रदुषण का एक ही कारण है और वो है संकरण तो यदि प्रदूषण को मिटाना है तो संकरण को ही मिटाना ज्यादा जरूरी है यही सभी तरह के प्रदूषणो की जड़ फ़िर वो चाहे जल-प्रदूषण ,वायु-प्रदूषण,ध्वनि-प्रदूषण,वैचारिक-प्रदूषण,धार्मिक-प्रदूषण या वो किसी भी तरह का प्रदूषण क्युं न हो आज भ्रष्टाचार भी एक तरह का प्रदुषण ही है
[ शास्त्रो द्वारा कलियुग मे भगवान श्री गणेशजी का धुम्रकेतू नाम से अवतरित होने के प्रमाण मिलते है जो फ़ैले हुये धुये ( अज्ञान,भ्रम ,प्रदूषण व सभी क्षेत्रो मे फ़ैला संकरण आदि ) को समाप्त कर देने वाले होंगे ]
क्या प्रदुषणो की बातें करने वालो को सिर्फ़ जल,वायू और ध्वनि यह तीन प्रदूषण ही दिख पा रहे हैं मै कुछ और प्रदूषणो की और ध्यान दिलाना चाहता हुं
(१).फ़सलो मे तरह-तरह की संकर जातियो को क्षणिक लाभ के लिये लगातार विकसित किया जा रहा है जबकि वे सब यह जानते हैं कि संकर जातियां बीमारियो से बहुत ही जल्दी प्रभावित हो जाती है साथ ही बीज बनने की क्षमता भी प्रभावित होती है इसके साथ ही अनेक दोषो काभी जम होता है जिसके कारण आने वाले समय मे भारत का शुद्ध और गुणवान देशी बीज समाप्त हो जायेगा । यह फ़सलो मे बीज का प्रदूषण है जिसकी तरफ़ शायद किसी का भी ध्यान नही जा पा रहा है
(२).सरकार द्वारा जब भी वृक्षारोपण किया जाता है तब एसे बेकार के पेड़ पौधे लगाये जाते है जो न तो किसी को छाया देते हैं न ही किसी को फ़ल और न ही आक्सीजन आदि ही उत्सर्जित करते हैं जबकि वृक्षारोपण मे आम,पीपल,नीम आदि जैसे पेड़ लगाये जाने चाहिये जिसमे पीपल और नीम तो आक्सीजन की दृष्टी से बहुत ही उपयोगी हैं इनमे से कुछ पेड़ तो रात और दिन दोनो समय आक्सीजन उत्सर्जित करते रहते हैं अन्ग्रेजो ने जाते समय नीलगिरी के पेड़ लगा दिये हैं जबकि नीलगिरी के पेड़ दलदली जगहो पर लगाये जाते है क्युंकि नीलगिरी बहुत तेजी से पानी धरती से जड़ो द्वारा खीचते रहते हैं एसा कहा जाता है कि करीब १५ लीटर पानी प्रतिदिन नीलगिरी का पेड़ धरती से लेता है और एसे ही कईयो बेकार अनुपयोगी नुकसादेह पेड़ पौधो को लगा दिया गया है जैसे अन्ग्रेजी ईमली, गाजर घांस , बेशरम आदि न जाने कितने एसे बेकार धरती और वायु दोनो को प्रदूषित करने वाले पेड़ पौधे हैं ।
(३). एसे ही दुधारू पशुओ मे भी देखो विदेशी नस्ल के जहरीले पदार्थो को दूध मे देने वाले पशु जैसे जरसी गाय आदि जिनका दूध अनेक बीमारियो को जन्म देने वाला है जिसे भारत के पशुविज्ञानी बता चुके हैं जबकि इसके विपरीत शुद्ध देशी नस्ल की एसी अनेक गाये है जो इस दुनिया मे सबसे अधिक दूध देने वाली गाय हैं कुछ महीने पहले पत्रिका मे इस विषय मे एक पशु विज्ञानी का लेख आया था उसी आधार पर देशी गायो पर यह लेख www.facebook.com/notes/आस्तिक-विनेक-दुबे/भारतीय-गाय-इस-धरती-पर-सभी-गायो-मे-सर्वश्रेष्ठ-क्यूँ-है-/149597388426812लिखा गया था जिसमे विदेशो मे सभी गायो के साथ हुई प्रतियोगिता मे भारतीय नस्ल की गायो ने सबसे अधिक दूध देते हुये प्रथम,द्वितीय व तृतीय तीनो स्थान प्राप्त किये थे साथ ही देशी नस्ल की गायो के दूध अनेक एसे तत्व होते है जो विकिरण और केंसर आदी अनेक बीमारियो से लड़ने मे सहायक है । और अब तो देशी गायो को कृत्रिम गर्भाधान द्वारा एक नई संकर जाती की विषैली पीड़ी को जन्म दिया जा रहा है और यह संकरण चाहे जीवो मे हो फ़सलो मे या पेड-पौधो मे हो या फ़िर वो मनुष्यो मे ही क्युं न हो सभी मे एक जैसा विषैला प्रभाव होता है
सभी क्षेत्रो मे प्रदुषण का एक ही कारण है और वो है संकरण तो यदि प्रदूषण को मिटाना है तो संकरण को ही मिटाना ज्यादा जरूरी है यही सभी तरह के प्रदूषणो की जड़ फ़िर वो चाहे जल-प्रदूषण ,वायु-प्रदूषण,ध्वनि-प्रदूषण,वैचारिक-प्रदूषण,धार्मिक-प्रदूषण या वो किसी भी तरह का प्रदूषण क्युं न हो आज भ्रष्टाचार भी एक तरह का प्रदुषण ही है
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