गुरुवार, 18 नवंबर 2010

राष्ट्रपति के गुण


                                              सर्वप्रथम अनंतकोटी ब्र्म्हांडनायक श्री महागणेशजी को मेरा शत शत नमन 



                                                        श्री गणपतीजी  (राष्ट्रपति) वो ही व्यक्ति बन सकता है जिसमे श्री  गणपतीजी  जैसे गुण हों अर्थात उसका सिर हाथी जैसा हो और धड़ मनुष्य जैसा जैसे हाथी कभी जोश मे नही आता ,यदि किसी कारण से वो जोश मे आ भी जाता है तो उसका जोश कभी खाली भी नही जाता । श्री गणपतीजी  का वाहन मूषक है जैसे मूषक अपने बिल मे गुप्त रहता है उसी तरह राष्ट्रपति की योजनाए भी गुप ही रहना चाहिए जब मूषक किसी वस्तु को नष्ट करता है तो वो सबसे पहले उसकी जड़ों को काट देता है उसी तरह राष्ट्रपति को भी विपक्छी राष्ट्रों की जड़ों को काट देना चाहिए प्रचार द्वारा उसकी अंतर्राष्ट्रीय छवी को धूमिल कर देना चाहिए श्री गनपतीजी के कान बड़े बड़े हैं अर्थात वो यह बताते हैं की सबकी बातों को ध्यानपूर्वक सुनो और बड़ा सर यानी अपनी बूद्धी से निर्णय ले ,छोटी-छोटी आँखें बताती है की सब पर राष्ट्रपति की सुक्छ्म द्र्श्टी हो।  लंबी नाक बताती है की खतरे को बहुत पहले ही सूंघ लिया जाए और तेज बूद्धी से उसका हल निकाला जाए ,बड़े बड़े दाँत का अर्थ है की शत्रुओं को भयभीत करने के लिए शक्ति का प्रदर्शन किया जाए परंतु जो वास्तविक शक्ति है जिससे उसका पूरी तरह नाश किया जा सकता है उसका प्रदर्शन न किया जाए श्री  गणपतीजी  की दो पत्नियाँ है रिद्धी-सिद्धी इसका अर्थ है जब राष्ट्रपति मे श्री गणपतीजी  के समान गुणो का विकास होगा  तो सारा देश जन धन से सम्पन्न हो जाएगा और रिद्धी-सिद्धी जैसे अर्धांग्नी-अनुचरि पत्नियाँ स्वयं श्री गणपतीजी (राष्ट्रपति) की सेवा करने लगेंगी और कुशल और क्छेम पुत्र बनकर स्वयं सम्पूर्ण समाज के कुशल क्छेम के लिए कार्य करने लगेंगी और भोतिक समरदधी और अन्तः शांति और अव्र्च्नीय आनंद से जन क्रत-क्रत्य हो उठेंगे .परिणाम स्वरूप राष्ट्र के श्री गणपतीजी -राष्ट्रपति की  स्तुती के जयकारों से दीग-दिगंत  गूंज उठेंगे  जिसकी प्रतिध्वनी लगातार गूँजती रहेगी।  किसी भी परिवार या समूह के नेता या स्वामी मे भी  इसी तरह के गुण होना चाहिए      

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