गुरुवार, 22 दिसंबर 2011

क्या जनवरी साल का पहला महीना है और 1 जनवरी साल का पहला दिन ( अव्यलीकजी द्वारा )

                                                              ॐ श्री महा गणेशाय नमः


ना तो जनवरी साल का पहला मास है और ना ही 1 जनवरी पहला दिन।जो आज तक जनवरी को पहला महीना मानते आए है वो जरा इस बात पर विचार करिए।सितंबर,अक्टूबर,नवंबर और दिसंबर क्रम से 7वाँ,8वाँ,नौवाँ और दसवाँ महीना होना चाहिए जबकि ऐसा नहीं है।ये क्रम से 9वाँ,,10वाँ,11वां और बारहवाँ महीना है।हिन्दी में सात को सप्त,आठ को अष्ट कहा जाता है,इसे अङ्ग्रेज़ी में sept(सेप्ट) तथा oct(ओक्ट) कहा जाता है।इसी से september तथा October बना।नवम्बर में तो सीधे-सीधे हिन्दी के "नव" को ले लिया गया है तथा दस अङ्ग्रेज़ी में "Dec" बन जाता है जिससे December बन गया।
ऐसा इसलिए कि 1752 के पहले दिसंबर दसवाँ महीना ही हुआ करता था।इसका एक प्रमाण और है।जरा विचार करिए कि 25 दिसंबर यानि क्रिसमस को X-mas क्यों कहा जाता है???? इसका उत्तर ये है की "X" रोमन लिपि में दस का प्रतीक है और mas यानि मास अर्थात महीना।चूंकि दिसंबर दसवां महीना हुआ करता था इसलिए 25 दिसंबर दसवां महीना यानि X-mas से प्रचलित हो गया।
इन सब बातों से ये निस्कर्ष निकलता है की या तो अंग्रेज़ हमारे पंचांग के अनुसार ही चलते थे या तो उनका 12 के बजाय 10 महीना ही हुआ करता था।साल को 365 के बजाय 345 दिन का रखना तो बहुत बड़ी मूर्खता है तो ज्यादा संभावना इसी बात की है कि प्राचीन काल में अंग्रेज़ भारतीयों के प्रभाव में थे इस कारण सब कुछ भारतीयों जैसा ही करते थे और इंगलैण्ड ही क्या पूरा विश्व ही भारतीयों के प्रभाव में था जिसका प्रमाण ये है कि नया साल भले ही वो 1 जनवरी को माना लें पर उनका नया बही-खाता 1 अप्रैल से शुरू होता है।लगभग पूरे विश्व में वित्त-वर्ष अप्रैल से लेकर मार्च तक होता है यानि मार्च में अंत और अप्रैल से शुरू।भारतीय अप्रैल में अपना नया साल मनाते थे तो क्या ये इस बात का प्रमाण नहीं है कि पूरे विश्व को भारतीयों ने अपने अधीन रखा था।
इसका अन्य प्रमाण देखिए-अंग्रेज़ अपना तारीख या दिन 12 बजे रात से बदल देते है।दिन की शुरुआत सूर्योदय से होती है तो 12 बजे रात से नया दिन का क्या तुक बनता है!!!तुक बनता है।भारत में नया दिन सुबह से गिना जाता है,सूर्योदय से करीब दो-ढाई घंटे पहले के समय को ब्रह्म-मुहूर्त्त की बेला कही जाती है और यहाँ से नए दिन की शुरुआत होती है।यानि की करीब 4-4.30 के आस-पास और इस समय इंग्लैंड में समय 12 बजे के आस-पास का होता है।चूंकि वो भारतीयों के प्रभाव में थे इसलिए वो अपना दिन भी भारतीयों के दिन से मिलाकर रखना चाहते थे इसलिए उनलोगों ने रात के 12 बजे से ही दिन नया दिन और तारीख बदलने का नियम अपना लिया।
जरा सोचिए वो लोग अब तक हमारे अधीन हैं हमारा अनुसरण करते हैं और हम राजा होकर भी खुद अपने अनुचर का,अपने अनुसरणकर्ता का या सीधे-सीधी कहूँ तो अपने दास का ही हम दास बनने को बेताब हैं।
कितनी बड़ी विडम्बना है ये!!!!!!
मैं ये नहीं कहूँगा कि आप आज 31 दिसंबर को रात के 12 बजने का बेशब्री से इंतजार ना करिए या 12 बजे नए साल की खुशी में दारू मत पीजिए या खस्सी-मुर्गा मत काटिए।मैं बस ये कहूँगा कि देखिए खुद को आप,पहचानिए अपने आपको।
हम भारतीय गुरु हैं,नेता हैं,सम्राट हैं किसी का अनुसरी नहीं l

ब्रह्मदेव ने इसी दिन सृष्टि का निर्माण किया अर्थात इसी दिन सतयुग का प्रारम्भ हुआ, इसी कारण इस दिन वर्षारम्भ किया जाता है.
संवत्सर (नया वर्ष) आरम्भ महाराष्ट्र में गुधिपाडवा नामक पर्व के रूप में मनाया जाता है.आंध्र में इसे युगादि (तेलेगु नव-वर्ष ) के रूप में मनाया जाता है.
दक्षिण भारत में शालिवाहन शक इसी दिन से प्रारम्भ होता है.
इस दिन संवत्सर शान्ति पूजा की जाती है. पहले ब्रह्मदेव, तदोपरांत विष्णु भगवान के अनेक रूपों की पूजा की जाती है. इस पूजन से पापों का नाश होता है, आयु बढती है तथा धन-धान्य की समृद्धि होती है.

नया साल अपनी संस्कृति एवं रीती रिवाजों के अनुसार ही मनाएं एवं सभी प्रिय जनो को शुभकामनाएं दें ,जो की 4 APRIL 2011 (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा) को है, हम नाम के आजाद हुए हैं लेकिन मानसिकता अभी भी गुलामी में ही रह रही है,हमें दूसरों का ही सब कुछ अच्छा लगता है ,अपना कुछ भी नहीं ,अंग्रेजों का दिया हुआ नया साल हमें नहीं चाहिये, जब सारे त्याहोर भारतीय संस्कृति के रीती रिवाजों के अनुसार ही मानते हैं तो नया साल क्यों नहीं??

निर्णय हमारे हाथ में है : नेता या फिर अनुचर !
जय हिन्द !
जय गौ माता !

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