गुरुवार, 22 दिसंबर 2011

तंबाकू आदि द्वारा मनुष्यों का क्रमिक आनुवंशिक पतन

                                                            ॐ श्री धूम्रकेतवे नमः
                      ( अज्ञान रूपी धुए का अपने मे लय कर नष्ट देने वाले भगवान श्री महागणेशजी )

  
मेरी मित्र सूची मे लगभग 3400 मित्र हैं और उनमे से लगभग किसी न किसी रुप मे तंबाकू का सेवन करते हैं । चिकित्सक कहते हैं की तंबाकू का सेवन करने से केंसर होता है । परंतु केंसर तो उनको भी होता है जो तंबाकू का सेवन नही करते ? क्यूँ इसके जवाब मे डाक्टर कहते हैं किसी वंशज को यह रोग हुआ होगा जिसके कारण आपको यह रोग हुआ है । अब सवाल यह उठता है की उसके वंशज को यह रोग क्यूं हुआ होगा,  यदि वह भी तंबाकु नही खाता हो तो यह रोग आया कंहा से ? न ही चिकित्साक इस बात को समझते हैं न ही आज का पिछड़ा विज्ञान । हम जो भी करते हैं , अच्छा या बुरा सब कुछ अनुवांशिक गुणो के रूप मे बीज मे स्थान बना लेता है और यदि प्रत्येक वंशज वही दोहराता रहे तो वह अनुवांशिक गुणो के रूप मे स्थाई जगह बना लेता है । यदि आज मेरे 99% प्रतिशत मित्र तंबाकू का सेवन करते हैं और यदि उनके वंशज भी यदि सात पीड़ी तक वही दोहराते रहे तो 8 वी पीड़ी के लगभग सभी केंसर और इसके जैसे रोगों से पीड़ित होंगे आज यदि इस धरती पर यदि 80 % भी तंबाकू का सेवन करते हैं तो 700 वर्षों बाद 20-25 % ही मानुषया केंसर जैसे रोगों से बच पायेंगे । बाकी सभी सिर्फ एक ही रोग से मारे जायेंगे । धर्म ( हिंदुओं ) मे तंबाकू को गाय के कान के समान और तामसी माना गया है । जो हिंदु गौ माता की जय कहते थकते नही उनको तो तंबाकू का सेवन बिल्कुल नही करना चाहिए ? सिर्फ एक ही रोग से मरने वालो की संख्या आने वाले समय मे इतनी अधिक होगी तो हमारे द्वारा दूसरे कर्मो जैसे कामुकता , शराब दूसरे नशे स्वच्छंद योन व्यावहार आदि के कारण न जाने कितने नए रोगों का जन्म होगा जिसके कारण मरने वालों की संख्या कितनी अधिक होगी । स्वच्छंद योन आचरण के कारण आने वाली संतान अनेक अनुवांशिक योन रोगों से पीड़ित होगी साथ ही क्रमिक आनुवंशिक पतन के कारण शक्ती हीन होगी और दूसरे अन्य विषाणुओं से भी जल्द ही प्रभावित हो जाएगी । शास्त्रों मे सही लिखा है कि कलीयुग के अंत मे मनुष्य की पूर्ण आयु 16 ही होगी और 6 वर्ष की आयु मे ही लड़कियां माँ बन जया करेगी । आज मलेच्च्योन ( मुसालेबीमान और किसाई ) , छोटी जातो , आधुनिक युग के परिवारों की कान्याए को स्वतंत्रता के कारण 6 वर्ष मे ही रजोस्नान ( मासिक धर्म ) हो जाया  करता है । क्या भविषय हैं हमारा कोई सोच भी नही सकता कितनी बुरी तरह और कष्ट के साथ हमारी पीड़ी भविष्य मे नष्ट हो जाएगी इसका किसी को अंदाजा भी नही हैं ? इसमे भी संकर जाती व गोत्रादी नियमों का पालन न करने वालों की संतान मे तो पहले से ही रोगों से लड़ने की शक्ति कम होती है ( विज्ञान द्वारा प्रमाणित है )। यदि क्रमिक संकरण का यही क्रम चलता रहा तो साधारण रोगों से यह संताने एसे ही समाप्त हो जाएँगी । सम्राट अशोक वर्ण-विलोम ( ब्राह्मणी व क्षत्रीय पिता ) संतान था आज क्या अशोक का कोई वंशज जीवित है । कोई भी संकर जाती की संतान या गोत्रादी का पालन न करने वालों का वंश लंबे समय तक नही रहता ? अतः सभी धर्म ( हिंदुओं ) के पालकों से निवेदन है कि धर्म का पालन करें ।

बाकी सबसे तो में सिर्फ कह ही सकता हूँ परंतु ब्राह्मणो से विशेष निवेदन और आशा करता हूँ कि वे अवश्य ही प्रयास करेगे । क्यूंकी जिस तरह किसान अपनी फसल मे से बीज को पहले ही सुरक्षित कर लेता है उसी तरह ब्राह्मण भी परमपिता परमेश्वर की उस फसल का बीज रूप ही है । जिसे सदा गुणवान और सुरक्षित रहना जरूरी । ब्राह्मण ( बीज ) को इसी विशेषता के कारण इतना ऊँचा स्थान दिया गया है उसे महान माना गया है श्रेष्ठ माना गया है । यदि हम सभी धर्म का पालन करने वाले नियमो का पालन नही कर सकते तो कम से कम कुछ श्रेष्ठ ब्राह्मणो को तो बीज रूप मे सुरक्षित कर सकते हैं । और में जानता हूँ कि कुछ ब्राह्मण के सिवा किसी को भी आने वाले खतरों का अंदाजा भी नही है परन्तु जब आज का पिछड़ा व अल्प विकसित विज्ञान इस ख़तरे को जान पाएगा कुछ करने योग्य नही बचेगा । जब घर मे आग लगेगी तो कुआ खोदने वाला मूर्ख ही कहलाता है । इसी लिए --

श्री रामचन्द्रजी कह गए माता सीताजी से - " सीते एसा कलीयुग आयेगा , हंस ( धर्म को जानने वाला ) चुगेगा दाना गुण ( गोत्रादी नियमों द्वारा आनुवंशिक गुणो की रक्षा व विकास ) का कौआ ( मूर्ख , जिंदगी न मिलेगी दोबारा कहकर जीने वाला )  मोती ( सुंदरता की इच्छा वाला व येन-केन प्रकारेण सभी सुख भोगने का प्रयास ) खाएगा "

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