गुरुवार, 22 दिसंबर 2011

पृथ्वी से भी बड़ा ग्रह मिला, क्या यहां बसेगी इंसानी बस्ती ?

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लंदन।। नासा के साइंटिस्टों ने सोलर सिस्टम से बाहर एक धरतीनुमा ग्रह की खोज की है जिसके बारे में उन्होंने कहा है कि यह भविष्य में इंसानों का नया बसेरा हो सकता है।नासा की एक टीम का कहना है कि केपलर-22बी नामक यह ग्रह 600 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है और इसका आकार पृथ्वी से 2-4 गुना बड़ा है। इसका तापमान 22 डिग्री सेल्सियस है। 'पृथ्वी- 2' हमारे सबसे करीब पृथ्वी जैसा ग्रह है।किसी भी ग्रह पर जीवन की संभावना होने के लिए उसका अपने मुख्य तारे से उचित दूरी होना जरूरी है ताकि वह ना तो ज्यादा गर्म हो और ना ठंडा।  नासा में केपलर के चीफ रिसर्चर बिल बोरुची ने कहा, 'केपलर-22बी के रूप में हमें एक ऐसा ग्रह मिला है जिस पर जीवन के लिए जरूरी सारे तत्व मौजूद हैं।'

                                                      ॐ श्री महागणेशाय नमः

वेज्ञानिको के अनुसार जीवन के विकास और मानव के लिए बस्ती बसाने के लिए सिर्फ पृथ्वी जैसा आकार-प्रकार और मुख्य तारे से दूरी ही आधार है परंतु इसके अलावा भी बहुत कुछ हैं जो जीवों के विकास और मनुष्य के बस्ती बसाकर विकसित होने के लिए बहुत जरूरी हैं । में यंहा हमारे सौर मंडल के ग्रहों  के सभी जीवों आदि के ऊपर प्रभाव के विषय मे कह रहा हूँ । यंहा हम सिर्फ चंद्रमा को ही इसके तुलनात्मक अध्ययन के लिए लेते हैं ।

आप सभी जानते हैं कि चंद्रमा जल तत्व को प्रभावित करता है । चंद्रमा के कारण ही समुद्र मे ज्वार-भाटा आता है । यह जल तत्व सभी जीवों और वनस्पतियों आदि मे हैं । जिस तरह चंद्रमा का प्रभाव समुद्र की विशाल जलराशी पर प्रत्यक्ष दिखता है और मान्य भी है उसी तरह जल की किसी भी मात्रा पर चंद्रमा का प्रभाव निश्चित ही होगा और इसे गलत नही प्रमाणित किया जा सकता ? जल तत्व मे नमक की मात्रा भी चंद्रमा के प्रभाव को बढ़ा या घटा सकती हैं । ज्योतिष मे चंद्रमा मन को प्रभावित करने वाला बताया गया है और मानसिक रूप से बीमार भी अमावस्या और पूर्णिमा को अधिक प्रभावित रहते हैं अतः भारतीय ज्योतिष पूरी तरह सही है । चंद्रमा जीवन और उसके विकास के लिए ही नही पेड़-पौधों व वनस्पतियों के लिए भी जरूरी है । बिना चंद्रमा के किसी भी गृह पर जीवन होने , विकसित होने  की कल्पना करना भी मूर्खता है सिर्फ एक गृह का होना या न होना ही इस बात का निर्णय कर देता है कि किसी भी दूसरे गृह पर मानव बस्ती बसाई जा सकती है या नही ?

जिस तरह चंद्रमा जल पर अपना प्रभाव दिखाता है उसी तरह शनि गृह लोहे पर अपना प्रभाव दिखाता है यह तत्व भी जीवों व पेड़ पौधों मे किसी न किसी रूप मे होता है । आयरन आदि गोलियाँ इसी दोष को दूर करने के लिए दी जाती हैं । अतः शनी गृह का होना और एक निश्चित जगह पर होना जरूरी हैं । बुध गृह तंत्रिका तंत्र कोशिकाओं आदि पर अपना प्रभाव दिखाता है अतः बुध गृह का होना भी जरूरी हैं । इसी तरह गुरु , शुक्र , मंगल  आदि का भी अपना-अपना प्रभाव  है

जिस तरह चंद्रमा का प्रभाव प्रामाणिक है उसी तरह अन्य सभी ग्रहों का भी प्रभाव प्रामाणिक है और ग्रहों के अलावा नक्षत्रो का होना न होना भी अपना अलग प्रभाव रखता है । आज का  विज्ञान तो भारतीय ज्योतिष  से बहुत पिछड़ा हुआ हैं ।

वेज्ञानिक स्वयं कहते  हैं कि अंतरिक्ष मे मानव के विकास की प्रक्रिया रूक जाती है । फिर कैसे किसी अन्य गृह पर मानव रह सकता है या विकसित हो सकता हैं ?

सिर्फ जल का होना ही जीवन का आधार नही हो सकता हमारे सौर मंडल के प्रत्येक गृह का इस धरती ही नही पूरे सौर मंडल पर अलग-अलग प्रभाव है हम कह सकते हैं कि हमारे सौर मंडल के सभी गृह सभी को पूरी तरह प्रभावित किए रहते हैं । यदि हम संतान को जन्म देने मे सक्षम है तब भी सभी गृहों का प्रभाव है यदि हम गर्भ मे आए हैं तब भी यह सभी ग्रहों का प्रभाव है यदि हम गर्भ मे हैं तब भी सभी गृह हमारे विकास के लिए जरूरी हैं और एक तरह से वे ही हमारा पालन पोषण कर रहे हैं ।

यह सब इन वेज्ञानिको को कब समझ आएगा पता नही ? जब यह चंद्रमा के सभी पर प्रभाव पर ही ध्यान नही दे पा रहे हैं तो बाकी दूसरे ग्रहों के प्रभाव को कब समझ पाएगे पता नही ?

यह मेरा सोचना है सिर्फ धरती जैसे दिखने वाले गृह पर मानव बस्तिया बसाने के विषय मे आप क्या सोचते हैं  ?

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