गुरुवार, 22 दिसंबर 2011

क्या सम्राट अशोक ने अपनी पत्नी के कहने पर बुद्धजी जी की शरण मे जाकर सही किया ?

हिन्दू धर्म के शत्रुओं मोहित कर जड़ मूल से नष्ट करने वाले भगवान बुद्ध रूपी श्री महागणेश को मेरा नमन                     

 चन्द्रगुप्त मौर्य के पुत्र विन्दुसार और उनके पुत्र अशोक थे। अपने पिता की मृत्यु के बाद अशोक मगध-नरेश हुए। बचपन से ही वे बड़े  तेजस्वी उग्र प्रकृति के थे। सिंहासन पर बैठते ही उन्होंने राज्य का विस्तार करना प्रारम्भ किया। कम्बोज से दक्षिण भारत के कर्णाटक तक और बंगाल के काठियावाड़ तक पूरे भारत में कुछ ही समय में उनका राज्य विस्तृत हो गया। परंतु कलिंग (उड़ीसा) ने उनकी अधीनता नहीं मानी थी। अशोक ने कलिंग पर चढ़ाई की। वहां के सैनिक बड़े वीरता से लड़ते रहे। यद्यपि अन्त में अशोक की विजय हो गयी; किन्तु इस युद्ध में इतने अधिक सैनिक मारे गये थे कि उनकी लाशों का ढेर देखकर अशोक का हृदय ही बदल गया। वहीं उन्होंने भविष्य में कभी युद्ध न करने का संकल्प किया।अपनी पत्नी देवी के कहने पर कुछ दिनों बाद बौद्ध-भिक्षुओं के सम्पर्क आने पर अशोक ने बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया और भारत को इतने विशाल देश के रूप मे स्थापित करने के बाद उसे अपने उन वंशजों के हाथ मे दे दिया जो इस साम्राज्य को सम्हालने के योग्य ही नही थे । और यही नही देश मे उस धर्म अहिंसा का भी प्रचार कराया जिसके कारण देश सभी सीमाओं से कमजोर हो गया क्यूंकी अशोक की पत्नी देवी पर बोद्ध धर्म की अहिंसा का प्रभाव अधिक होने के कारण उसके पुत्रों पर भी इसका अधिक प्रभाव हुआ और वो कमजोर शासक हुये जिसके फलस्वरूप सामंतों ने विद्रोह कर दिया और भारत खंड-खंड हो गया । अधिकतर देश की सीमाओं पर विशेष रूप से अफगानिस्तान जो हिंदुस्तान का ही भाग था बोद्ध धर्म के प्रभाव के कारण यंहा बहुत ही कमजोर शासक थे । जब अरब लुटेरों ने हमला किया तो बोद्ध धर्म के मानने वाले शासकों को बुरी तरह पराजित कर नष्ट कर दिया गया । अफगानिस्तान मे बोद्ध धर्म का बहुत अधिक प्रभाव होने के कारण ही हिंदुस्तान का एक हिस्सा इतनी आसानी से एक इस्लामिक राज्य बन गया । और कुछ कमजोर हिन्दू जैसे बोद्ध बन गए थे वैसे की तलवार से डरकर मुसलमान हो गए । और जो थोड़े बहुत हिन्दू थे उनको मार दिया गया । इसमे कई उन बोद्धों का हाथ था जो मुसलमान बने थे ।

इन सब बातों को देखने के बाद यही विचार आता है कि क्या यही एक क्षत्रिय का धर्म था कि वो देश की सीमाओं की रक्षा की न सोच अहिंसा का पाठ पढे ? क्या अशोक को सिर्फ सम्राट बनने की सनक थी ? क्या उनके युद्ध का कोई लक्ष्य नही था ?यदि देश मे वीर राजपूत ,जाट अधर्म का लगातार विरोध करने वाले ब्राह्मण और हिंदुओं की मुगलों से युद्ध के लिए स्थापित सिख नही होते तो हिन्दू धर्म के लिए संकट खड़ा हो जाता ।

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