गुरुवार, 22 दिसंबर 2011

विनीता आदिवासी रागा के मूर्खतापूर्ण सवाल का जवाब

                                                          ॐ श्री नहा गणेशाय नमः

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इस लिंक पर  विनीता आदिवासी रागा ने मूर्खतापूर्ण तर्को द्वारा हिंदु धर्मपर कीचड़ उछालने का प्रयास किया है उनने अपने अज्ञान और मुरखा पूर्ण तर्को द्वारा यह प्रमाणित करने का प्रयास किया है  आर्यों के धर्म ग्रंथ की सभी बातें काल्पनिक हैं इस लिंक मे उन्होने भगवान परशुरामजी के विभिन्न युगो मे होने के कारण उनके विषय मे दी गए जानकारियों को काल्पनिक कहा है । पुराणो मे कुछ आर्यों को कल्पजीवी ( जब धरती के पूरी तरह नष्ट होकर उसपर दुबारा जीवन के प्रारंभ का समय ) अर्थात अमर बताया गया है । उनको शायद इस विषय मे जानकारी नही होगी की भगवान परशुराम अमर हैं । उनके ही समान अश्वस्थामा , वेद व्यास आदी भी अमर हैं । अब यंहा आप को अमर होने पर जरूर संदेह हो सकता है । तो आज का पिछड़ा हुआ विज्ञान भी नेनो तकनीक द्वारा रोगो का इलाज और मनुष्य को अमर बना देने के दावे कर रहा है और आने वाले समय मे यह हो भी सकता है । वेदिक काल बहुत ही आधुनिक और विज्ञान के प्रत्येक नियम की जानकारी रखता था , जिसके ही आधार पर आर्यों के प्रत्येक वेदिक नियम , मान्यते व परम्पराएं बनाई गई हैं । जिसमे से एक गोत्र परंपरा है इस विषय मे में कई बार लिख चुका हूँ ।

आर्य धर्म के सिर्फ कई नियमो मे से एक नियम गोत्र को ही देखें और समझें धर्मं क्या है साफ-साफ समझ आ जायेगा । आर्यों मे एक गोत्र परंपरा होती है , जिसमे गोत्र उस वंश के प्रवर्तक ऋषी का नाम होता है जो उस सभी गोत्र वालों के एक ही वंश के होने का परिचय देता है । आर्यों मे एक ही गोत्र मे विवाह नही होता । आज का पिछड़ा विज्ञान भी यह मानने लगा है की पास के रिश्तो मे विवाह से जन्मी संतान मे रोगो से लड़ने की क्षमता , संतान को जन्म देने की क्षमता लगातार पीड़ी दर पीड़ी कम होती जाती हैं साथ ही कई प्रकार के दोष हो जाते हैं । इस तरह के आर्यों मे विज्ञान पर आधारित कई नियम हैं  जो उनको हर युग मे बचाए रखते हैं । जो आर्य वेदिक नियमों का पालन करते हैं वे सदा बचे रहते हैं बाकी सभी जंगलियों और मलेच्छ्यो को कोई भी महामारी जड़ से समाप्त कर देती है । हमारी हर क्षमता लगातार कम होती जा रही है एसे मे इन अनार्यों और वैदिक धर्म से पतित आर्यों का क्या होगा सब समझ सकते हैं ।

जंगली और मलेच्या ( मुसालेबीमान और किसाई ) एक ही युग मे कइयों बार जड़ से समाप्त हो जाते हैं और दुबारा विकास क्रम से विकसित होते हैं । यह जंगली भगवान राम के भी समय जंगली थे , भगवान कृष्ण के समय भी जंगली थे हर युग मे यह जंगली ही थे और आज भी जंगली ही हैं .यह सदा हर युग मे जंगली ही रह जाते हैं और जड़ से नष्ट हो जाते हैं । क्यूंकी इनमे न ज्ञान होता है जो इनको बचा पाये और न ये कभी उस ज्ञान को पाना चाहते हैं .जो आर्य वेदिक नियमों का पालन करते हैं वे सदा बचे रहते हैं बाकी सभी जंगलियों और मलेच्छ्यो को कोई भी महामारी जड़ से समाप्त कर देती है । हमारी हर क्षमता लगातार इस कलीयुग मे हर क्षेत्र मे प्रदूषण के कारण  कम होती जा रही है एसे मे इन जगलियों और मलेच्च्यो का क्या होगा । हम आर्यों को इन्हे बार-बार जड़ समाप्त होते देखने मे कष्ट होता है .एसे लोगो से मेरा निवेदन है की  वे मुझसे मिलें , कुछ ज्ञान पा लें हो सकता है इस युग मे आप जंगलियों को सभ्य बना पायें और उस ' जय भीबा  ' नाम की बीमारी से बच पाये ।

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