गुरुवार, 22 दिसंबर 2011

मलेच्छय मेकाले की योजना

                                                        ॐ श्री महा गणेशाय नमः

मेकाले ने 2 फरवरी 1835 को ब्रिटिश संसद के अपने भाषण मे कहा था -" मेंने पूरे भारत मे चारों और दोरा किया और मेंने एक भी व्यक्ति नही देखा जो भिखारी हो  ,चोर हो ,इस देश मे इतनी संपदा , इतना उच्च चरित्र , लोगों मे इतनी योग्यता है की में नही समझता की इस देश को जीता जा सकेगा । जब तक इस देश की रीढ़ को न तोड़ दिया जाय ? जो इस देश की आध्यात्मिक और पेत्रक संपत्ती हे । इसलिए में प्रस्ताव रखता हूँ की हम उनकी प्राचीन शिक्षा प्रणाली और संस्कृती को ही बदल दें , ताकी वो यह सोचने लगें की जो कुछ विदेशी या आंग्ल है वो ही उनसे श्रेष्ठ है । इस प्रकार वे स्वाभिमानी अपनी संस्कृती खो देंगे और हमारे अधीन हो जाएंगे ।"

यंहा ध्यान देने योग्य बात यह है की मुगलों द्वारा लगातार मंदिर तोड़े जाने और लूटपाट और बलात्कार के बाद भी भारत सोने की चिड़िया और चरित्रवान बना रहा ।

मेकाले ने गुरुकुल समाप्त कर दिये । वेद गड़रिये के गीत घोषित कर दिये । धर्म स्थान व सेवा संस्थाए सरकार के अधीन कर ली गई । सती अपराधिनी हो गई , परिवार मिटा दिये गए ।  मेकाले ने ही हमारा चृत्रिक पतन किया फिर भी हमारा पूर्ण रुपेन पतन नही हो पाया है । हमारे यंहा कूवारी माँ धर्मांतरित की गई इसाएयों मे भी नही पायी जाती । छात्राओं को हमारे यंहा गर्भ निरोधक गोलियां खिलाने की सरकारी प्रथा हमारे यंहा आज भी नही है । हमारी कनयाए आज भी 13 वर्ष से कम आयु मे बिना विवाह गर्भवती नही होती हैं । भारत सरकार ने आज तक समलेंगीक पुरुष और स्त्री विवाह को मान्यता नही दी  है  ।विदेशों की तरह कम उम्र की लड़कियां अपना जीवन यापन करने के लिए शरीर का व्यवसाय नही करती हैं । आज विदेशों मे भारतीयो का उच्च और सममानीय पदों पर लगातार प्रतिशत बढ़ता जा रहा है । और वंहा के मूल निवासी का नशे , हवस से जन्मी नाजायज संतानों और अपराधीकारण का प्रतिशत लगातार बढ़ता जा रहा है ।

परंतु मलेच्छया धर्म की हवस से प्रभावित हिन्दू यदि इसी तरह मलेच्छया नव वर्ष मानते रहे , शराब मे पीकर मदहोश होते रहे , अलग-अलग साथियो से संबंध बनाकर अपने को आधुनिक और विकसित समझते रहे तो हिन्दू धर्म का तो कुछ नही होगा

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