गुरुवार, 22 दिसंबर 2011

योगेश्वरी माता गीता के लिए विदेशी विद्वानो के कथन

                                               ॐ श्री महा गणेशाय नमः                                     

प्रसिद्ध लेखक इमर्सन के गुरु थोरो

अमेरिका के प्रसिद्ध लेखक इमर्सन के गुरु थोरो ब्रह्मचर्य का पालन करते थे | उन्हों ने लिखा है : "मैं प्रतिदिन गीता के पवित्र जल से स्नान करता हूँ | यद्यपि इस पुस्तक को लिखनेवाले देवताओं को अनेक वर्ष व्यतीत हो गये, लेकिन इसके बराबर की कोई पुस्तक अभी तक नहीं निकली है |"

इंग्लैण्ड के एफ. एच. मोलेम

योगेश्वरी माता गीता के लिए दूसरे एक विदेशी विद्वान्, इंग्लैण्ड के एफ. एच. मोलेम कहते हैं : "बाइबिल का मैंने यथार्थ अभ्यास किया है | जो ज्ञान गीता में है, वह ईसाई या यदूही बाइबिलों में नहीं है | मुझे यही आश्चर्य होता है कि भारतीय नवयुवक यहाँ इंग्लैण्ड तक पदार्थ विज्ञान सीखने क्यों आते हैं ? नि:संदेह पाश्चात्यों के प्रति उनका मोह ही इसका कारण है | उनके भोलेभाले हृदयों ने निर्दय और अविनम्र पश्चिमवासियों के दिल अभी पहचाने नहीं हैं | इसीलिए उनकी शिक्षा से मिलनेवाले पदों की लालच से वे उन स्वार्थियों के इन्द्रजाल में फंसते हैं | अन्यथा तो जिस देश या समाज को गुलामी से छुटना हो उसके लिए तो यह अधोगति का ही मार्ग है |

मैं ईसाई होते हुए भी गीता के प्रति इतना आदर-मान इसलिए रखता हूँ कि जिन गूढ़ प्रश्नों का हल पाश्चात्य वैज्ञानिक अभी तक नहीं कर पाये, उनका हल इस गीता ग्रंथ ने शुद्ध और सरल रीति से दे दिया है | गीता में कितने ही सूत्र आलौकिक उपदेशों से भरपूर देखे, इसी कारण गीताजी मेरे लिए साक्षात योगेश्वरी माता बन गई हैं | विश्व भर में सारे धन से भी न मिल सके, भारतवर्ष का यह ऐसा अमूल्य खजाना है |

सुप्रसिद्ध पत्रकार पॉल ब्रिन्टिन सनातन धर्म की ऐसी धार्मिक पुस्तकें पढ़कर जब प्रभावित हुआ तभी वह हिन्दुस्तान आया था और यहाँ के रमण महर्षि जैसे महात्माओं के दर्शन करके धन्य हुआ था

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